मप्र : प्रमोशन में आरक्षण मामला हाईकोर्ट में अटका, प्रदेश में कर्मचारियों का टोटा | MP: Reservation case in promotions, in case of high court, staff's staff in the state

मप्र : प्रमोशन में आरक्षण मामला हाईकोर्ट में अटका, प्रदेश में कर्मचारियों का टोटा

मप्र : प्रमोशन में आरक्षण मामला हाईकोर्ट में अटका, प्रदेश में कर्मचारियों का टोटा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:18 PM IST, Published Date : August 8, 2017/1:27 pm IST

 

मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण के मामले में हो रही देरी का असर सराकरी दफ्तरों में देखने को मिल रहा है प्रदेश में प्रमोशन की आस में कई कर्मचारी रिटायर हो गए जिसके बाद उनके स्थान पर परमोशन न हो पाने पर अब कर्मचारियों का टोटा दिख रहा है। हालात यह है की मंत्रलाय के अंदर एक अधिकारी के पास दो या दो से ज्यादा विभागों के प्रभार है। 

मध्य प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण के मामले को लेकर चल रहे विवाद के बाद पदोन्नति पर लगाई गई रोक के चलते प्रदेश में कई विभागों में अफसरों की भारी कमी आ गई है। इसका असर मंत्रालय पर भी पड़ा है। लिहाजा सरकार को अफसरों को दो-दो प्रभार देकर काम चलाना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई 10 अगस्त को होनी है। प्रदेश के कर्मचारियों की नजर इस पर लगी हुई है। उधर, राज्य सरकार, सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संगठन और अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संगठन सुनवाई की तैयारी में जुट गए हैं। 

मध्य प्रदेश में पदोन्नति पर 15 महीने पहले रोक लगी थी। इन महीनों में 12 बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख लगी। इनमें से भी 9 माह बगैर सुनवाई के ही तारीख आगे बढ़ गई। अब कर्मचारियों को सुनवाई शुरू होने और फैसला जल्द आने का इंतजार है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो आने वाले पांच महीनों में और 10 हजार कर्मचारी बगैर पदोन्नति के ही रिटायर हो जाएंगे। कर्मचारियों के इस मसले का असर आने वाले 2018 के चुनाव में भी सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा लिहाजा इस मामले पर सियासत भी तेज है।

पदोन्नति में आरक्षण की लड़ाई अनारक्षित और आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों के बीच है!चुनावी फायदे के लिए सरकार इस लड़ाई में सरकार सिर्फ वोट की राजनीति के चलते कूदी । सीएम के अजाक्स के सम्मेलन में दिए प्रमोशन में आरक्षण को लेकर दिए बयान के बाद इस मामले में सरकार असमंजस में है ! जिसके चलते डीपीसी के बाद 21 हजार की पदोन्नति अटकी पड़ी है !यही नहीं बीते सवा साल में प्रदेश के 55 हजार कर्मचारी रिटायर हो गए हैं। इनमें से करीब 21 हजार कर्मचारियों का रिटायरमेंट पदोन्नति के लिए डीपीसी होने के बाद हुआ है। ये कर्मचारी रिटायरमेंट के आखिरी दिन तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने या सरकार द्वारा निर्णय लिए जाने का इंताजर करते रहे।