10 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को जारी किए गए स्थायी जाति प्रमाण पत्र, घर पहुंचाए गए सर्टिफिकेट

10 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को जारी किए गए स्थायी जाति प्रमाण पत्र, घर पहुंचाए गए सर्टिफिकेट Permanent caste certificate issued to more than 10 thousand students home delivered certificate

10 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को जारी किए गए स्थायी जाति प्रमाण पत्र, घर पहुंचाए गए सर्टिफिकेट
Modified Date: November 29, 2022 / 09:00 pm IST
Published Date: August 18, 2021 10:12 pm IST

कांकेर । जिले में 10 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को स्थायी जाति प्रमाण-पत्र का वितरण किया गया है। कलेक्टर चन्दन कुमार के मार्गदर्शन में जिले में योजनाबद्ध तरीके से विशेष अभियान चलाकर कक्षा 6वीं से 12वीं तक अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के स्थायी जाति प्रमाण-पत्र बनाए गये थे, इन छात्र-छात्राओं के दस्तावेजों का संकलन एवं फार्म भरने की संपूर्ण प्रक्रिया राजस्व एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा किया गया, इस कार्य में लगभग 02 हजार शिक्षक तथा राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने अपनी भागीदारी निभाई है।
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इस अभियान में कक्षा 6वीं से 12वीं तक अध्ययनरत 10 हजार 231 विद्यार्थियों के स्थाई जाति प्रमाण-पत्र बनाए गए हैं, इनमें कांकेर विकासखण्ड के 771, चारामा विकासखण्ड के 849, नरहरपुर विकासखण्ड के 1102, भानुप्रतापपुर विकासखण्ड के 1530, अंतागढ़ विकासखण्ड के 2240, दुर्गूकोंदल विकासखण्ड के 2278 और कोयलीबेड़ा विकासखण्ड के 1461 विद्यार्थियों का स्थाई जाति प्रमाण-पत्र बनाया गया, जिनका वितरण आज जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में छात्र-छात्राओं को किया गया। लाभान्वित सभी छात्र-छात्राओं को घर पहुंच सेवा के माध्यम से जाति प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराये गए हैं। भानुप्रतापपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत मुख्यालय भानबेड़ा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परिसर में आयोजित जाति प्रमाण-पत्रों के वितरण समारोह में जनपद पंचायत भानुप्रतापपुर के उपाध्यक्ष सुनाराम तेता, जिले के कलेक्टर चन्दन कुमार, अधिकारी और जनप्रतिनिधियों उपस्थति थे। जाति प्रमाण-पत्र के वितरण समारोह को संबोधित करते हुए जिले के कलेक्टर चन्दन कुमार ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने हमें कुछ अधिकार दिए हैं, उनमें से कुछ अधिकारों को प्राप्त करने के लिए प्रमाण-पत्रों की आवश्यकता होती है, जिनमें जाति प्रमाण-पत्र भी शामिल हैं। बच्चों को न केवल प्रमाण-पत्र मिलना चाहिए बल्कि बिना किसी परेशानी के मिलना चाहिए, इसे ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन द्वारा कक्षा 6वीं से 12वीं तक अध्ययनरत विद्यार्थियों का जाति प्रमाण-पत्र बनाने के लिए राजस्व एवं स्कूल शिक्षा विभाग को दायित्व सौंपा गया। बच्चों को न पटवारी के पास जाना पड़ा और न ही तहसील कार्यालय, सभी प्रक्रियाएं राजस्व एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा पूर्ण कराया गया।

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इस कार्य में लगभग 02 हजार शिक्षकों और राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने अपना योगदान दिया है। ऐसे विद्यार्थी जिनके पास मिशल बंदोबस्त के रिकार्ड या वर्ष 1950 के पहले के दस्तावेज नहीं थे, उनका जाति प्रमाण-पत्र बनाने के लिए जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों की सहयोग से विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया जाकर प्रमाण-पत्र बनाये गये। लगभग 40 प्रतिशत ऐसे बच्चे थे, जिनके पास मिशल बंदोबस्त के रिकार्ड नहीं थे, उनके लिए ग्राम सभा का आयोजन किया गया।ऐसे बच्चो को अब जाति प्रमाण पत्र के लिए भटकना नही होगा।


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