मुंबई, एक जून (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि जब महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि राज्य में कोविड-19 महामारी की स्थिति कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए अनुकूल नहीं हैं तो क्या अदालत के लिए दखल देना और निर्देश देना सही होगा?
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मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी ने पुणे में रहने वाले प्रोफेसर धनंजय कुलकर्णी की जनहित याचिका पर ‘प्रथम दृष्टया टिप्पणी की’’। याचिका में कोविड-19 मामलों में वृद्धि के कारण राज्य में कक्षा 10वीं (एसएससी) की बोर्ड परीक्षा रद्द करने के राज्य सरकार के 19 अप्रैल के फैसले को चुनौती दी गई है।
पीठ ने मंगलवार को कुलकर्णी के वकील उदय वरुंजिकर को याचिका में संशोधन करने का निर्देश दिया ताकि सरकार द्वारा बाद में पारित आदेश और छात्रों का मूल्यांकन कैसे किया जाए, इस पर एक फॉर्मूला तैयार करने को चुनौती दी जा सके। अदालत ने कहा,“ हम अपनी प्रथम दृष्टया टिप्पणी कर रहे हैं कि राज्य सरकार के कुछ निर्णय हैं जो उचित नहीं हो सकते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि हम (अदालत) अपनी शक्तियों का कितना विस्तार कर सकते हैं।”
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मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, “ अगर राज्य सरकार कह रही है कि परीक्षा कराने के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है, तो क्या हम (अदालत) दखल दे सकते हैं और कह सकते हैं कि यह अनुकूल है, इसलिए परीक्षा आयोजित करें?” पीठ ने रेखांकित किया कि कोविड-19 की दूसरी लहर पिछले साल आई पहली लहर की तुलना में बहुत खराब थी। मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, “ कोरोना वायरस ने इस साल युवाओं को निशाना बनाया है… बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए तीन जून को सूचीबद्ध कर दिया है।