चाय बागान से महिला समूहों के खिले चेहरे, लाखों कमाई का जरिया बनी चाय की खेती

चाय बागान से महिला समूहों के खिले चेहरे, लाखों कमाई का जरिया बनी चाय की खेती

चाय बागान से महिला समूहों के खिले चेहरे, लाखों कमाई का जरिया बनी चाय की खेती
Modified Date: November 29, 2022 / 09:00 pm IST
Published Date: December 6, 2019 4:16 pm IST

जशपुर । राज्य के सीमावर्ती जशपुर जिले के पठारी क्षेत्र स्थित सारूडीह चाय बागान की महक दूरदराज तक जहां तेजी से फैलने लगी है, वहीं इसमें कार्यरत महिला समूहों की आमदनी भी दिनों-दिन बढ़ने लगी है। इस तरह चाय बगान ने समूह की महिलाओं के जीवन में मिठास घोल दी है। जशपुर नगर वनमंडल के अंतर्गत सारूडीह चाय बागान स्व-सहायता समूह द्वारा चाय की खेती की जा रही है। यह समूह घुरवा कोना की 20 एकड़ भूमि में चाय की खेती करता है।

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समूह की महिलाओं ने बताया कि इसकी पहली फसल में ही कुल दो लाख रूपए की चाय का उत्पादन हुआ है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि यह चाय बागान वर्ष 2011 में स्थापित किया गया था। कतिपय कारणों से यह कुछ वर्षो तक बंद पड़ा रहा। वर्ष 2017 से इसे पुनः शुरू किया गया है। यहां चाय बागान में महिलाओं के दो समूह कार्य करते हैं। एक समूह मुख्य रूप से उत्पादन तो दूसरा समूह विपणन और प्रसंस्करण का काम देखता हैै।

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लक्ष्मी समूह की सचिव श्रीमती पूर्णिमा बताती हैं कि विगत आठ माह में वे लोग करीब 10 क्विंटल चाय का हरा पत्ता तोड़े हैं। लगभग पांच किलो हरी चायपत्ती सूखकर-सिर्फ एक किलो चायपत्ती बनती है। इस तरह समूह द्वारा तोड़े गए 10 क्विंटल चायपत्ती सूखकर दो क्विंटल हुई है। इस पत्ती से समूह द्वारा तैयार ग्रीन टी को दो हजार रूपए प्रति किलो ग्राम तथा सीटीसी चाय को 400 रूपए प्रति किलो ग्राम की दर से बिक्री की जा रही हैै।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com