Village and Gauthan will be illuminated by electricity made from cow dungProduced electricity will be cheaper

गोबर से बनी बिजली से जगमग होंगे गांव और गौठान, उत्पादित बिजली होगी सस्ती.. प्रति यूनिट लागत 2.50 से 3 रुपए

Village and Gauthan will be illuminated by electricity made from cow dung Produced electricity will be cheaper

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:16 PM IST, Published Date : October 1, 2021/4:53 pm IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ के गांव और गौठान अब गोबर की बिजली से जगमग होंगे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन बेमेतरा जिला मुख्यालय के बेसिक स्कूल मैदान में आयोजित किसान सम्मेलन में गोबर से बिजली उत्पादन की महत्वाकांक्षी और ऐतिहासिक परियोजना का शुभारंभ करेंगे। राज्य के कई गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसान सम्मेलन में ही बेमेतरा जिले को 477 करोड़ रूपए के विकास एवं निर्माण कार्याें की सौगात देंगे।

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर 2021 का दिन छत्तीसगढ़ राज्य के लिए अविस्मरणीय एवं ऐतिहासिक दिन होगा। मुख्यमंत्री बघेल 2 अक्टूबर को बेमेतरा जिले के आदर्श गौठान राखी सहित दुर्ग जिले के सिकोला गौठान तथा रायपुर जिले के बनचरौदा गौठान में गोबर से विद्युत उत्पादन परियोजना का शुभारंभ करेंगे।

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छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गौठानों में गोबर से विद्युत उत्पादन की परियोजना को लेकर बीते कई महीनों से तैयारियां की जा रही थी, जो 2 अक्टूबर को मूूर्तरूप लेने जा रही है। गोबर से सस्ती बिजली उत्पादन होने के साथ-साथ जैविक खाद का भी उत्पादन होगा। इससे गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को दोहरा लाभ होगा।

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गोबर से विद्युत उत्पादन के लिए गौठानों में बायो गैस प्लांट, स्क्रबर एवं जेनसेट स्थापित किए गए हैं। बायो गैस टांके में गोबर एवं पानी डालकर बायोगैस तैयार की जाएगी, इससे 50 फीसद मात्रा में मीथेन गैस उपलब्ध होगी, जिससे जेनसेट को चलाकर विद्युत उत्पन्न की जाएगी। 25 किलो गोबर एवं पानी के मिश्रण से तैयार होने वाली 1000 लीटर बायोगैस से 2 केव्ही बिजली उत्पन्न होती है। इसी तरह 250 किलो गोबर और पानी के मिश्रण से उत्पन्न मीथेन गैस से तैयार होने वाली 10 केव्ही विद्युत से 15 एलईडी बल्ब 8 से 10 घंटे तक जलाए जा सकेंगे।

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वैज्ञानिक बताते है कि गोबर से उत्पन्न विद्युत की प्रति यूनिट लागत 2.50 से 3 रूपये तक आती है। बायोगैस प्लांट में उपयोग में लाए गए गोबर की शत-प्रतिशत मात्रा जैविक खाद में तब्दील हो जाती है। इस तरह से देखा जाए तो गोबर से पहले विद्युत उत्पादन और उसके बाद शत-प्रतिशत मात्रा में जैविक खाद प्राप्त की जा सकती है। इससे गौठान समितियों और महिला समूहों को दोहरा लाभ मिलेगा।

 

 

 
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