उप्र : पूर्व मंत्री, विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह का दो वर्ष बाद भाजपा से निष्कासन रद्द |

उप्र : पूर्व मंत्री, विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह का दो वर्ष बाद भाजपा से निष्कासन रद्द

उप्र : पूर्व मंत्री, विधान परिषद सदस्य यशवंत सिंह का दो वर्ष बाद भाजपा से निष्कासन रद्द

:   Modified Date:  April 29, 2024 / 11:20 AM IST, Published Date : April 29, 2024/11:20 am IST

लखनऊ, 29 अप्रैल (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) व पूर्व मंत्री यशवंत सिंह का निष्कासन दो वर्ष बाद सोमवार को समाप्त करते हुए उनकी वापसी की घोषणा की है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने यह जानकारी दी।

योगी आदित्यनाथ के 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद छह माह के भीतर उनके विधानमंडल का सदस्य बनने के लिए इस्तीफा दे कर विधान परिषद की अपनी सीट खाली करने की वजह से यशवंत सिंह सुर्खियों में आ गये थे।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री, एमएलसी व मुख्यालय प्रभारी गोविंद नारायण शुक्ल ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने सोमवार को यशवंत सिंह को पत्र जारी कर उनका निष्कासन समाप्त कर दिया है। सिंह से अपेक्षा की गयी है कि वह पुन: पार्टी के विचारों के प्रति समर्पण व निष्ठा के साथ पूर्ण मनोयोग से कार्य करेंगे।

भाजपा ने अप्रैल, 2022 में विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) यशवंत सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में तत्काल प्रभाव से भाजपा से छह वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया था।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री और मुख्यालय प्रभारी गोविंद नारायण शुक्ल ने यशवंत सिंह को पत्र भेजकर कहा था कि आजमगढ़-मऊ स्थानीय निकाय प्राधिकारी क्षेत्र से पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ अपने पुत्र विक्रांत सिंह ‘रिशू’ को निर्दलीय (विधान परिषद चुनाव) चुनाव लड़ाने व प्रचार प्रसार करने की शिकायत प्राप्त हुई है।

शुक्ल ने पत्र में लिखा था ‘‘जिला एवं क्षेत्र द्वारा प्रेषित रिपोर्ट को प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने संज्ञान में लिया और उनके निर्देश पर आपको (यशवंत सिंह) पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ बेटे को निर्दलीय चुनाव लड़ाने एवं पार्टी विरोधी कार्य करने के कारण तत्काल प्रभाव से पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित किया जाता है।’’

उत्तर प्रदेश में 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद यशवंत सिंह ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। उस समय यशवंत सिंह समाजवादी पार्टी (सपा) से विधान परिषद के सदस्य थे और जब योगी ने 2017 में उप्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तब वह विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं थे।

नियमानुसार छह माह के भीतर ही योगी को विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना जरूरी था। उस समय सबसे पहले यशवंत सिंह ने विधान परिषद की सदस्यता से त्यागपत्र देकर योगी के लिए विधान परिषद की राह आसान की थी। योगी 2017-2022 के अपने पहले कार्यकाल में विधान परिषद सदस्य रहे और इस बार विधानसभा चुनाव में गोरखपुर शहर क्षेत्र से विधायक चुने गये हैं। यशवंत सिंह को बाद में भाजपा ने विधान परिषद में भेजा। उनका कार्यकाल पांच मई 2024 तक है।

भाजपा ने स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र से हो रहे विधान परिषद सदस्य के चुनाव में आजमगढ़-मऊ से अरुण यादव को अपना अधिकृत उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वहां यशवंत सिंह के पुत्र विक्रांत सिंह चुनाव में उतर गये। इसी कारण यशवंत को भाजपा से निष्कासित किया गया। यशवंत सिंह के बेटे विधान परिषद का चुनाव जीत गये और भाजपा को शिकस्त मिली थी।

मऊ के एक राजनीतिक जानकार ने बताया कि यशवंत सिंह घोसी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। घोसी में सातवें चरण में एक जून को मतदान होगा। भाजपा ने अपने सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को गठबंधन के तहत यह सीट दी है।

भाषा आनन्द

मनीषा

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