ताजमहल के बारे में दायर याचिका उच्च न्यायलय ने की खारिज |

ताजमहल के बारे में दायर याचिका उच्च न्यायलय ने की खारिज

ताजमहल के बारे में दायर याचिका उच्च न्यायलय ने की खारिज

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:49 PM IST, Published Date : May 12, 2022/5:51 pm IST

लखनऊ,12 मई (भाषा) इलाहबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बृहस्पतिवार को ताजमहल के इतिहास के बारे में सच को सामने लाने के लिए तथ्यों की जानकारी करने वाली कमेटी के गठन और ताज परिसर में स्थित 22 कमरों को खोले जाने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी और कहा कि इसमें याचिकाकर्ता यह बताने में विफल रहा कि उसके कौन से कानूनी या संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है ।

न्यायमूर्ति डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अदालत भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती है।

पीठ ने याचिकाकर्ता रजनीश सिंह के अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह की बिना कानूनी प्रावधानों के याचिका दायर करने के लिए खिंचाई की । अदालत ने याचिकाकर्ता यह नहीं बता सका है कि उसके किस कानूनी या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है ।

दलीलों के बाद जब पीठ याचिका खारिज करने जा रही थी तो याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से याचिका वापस लेने और बेहतर कानूनी शोध के साथ एक और नई याचिका दायर करने की अनुमति देने का अनुरोध किया, लेकिन पीठ ने उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और याचिका खारिज कर दी।

शनिवार उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में दायर की गई याचिका में इतिहास को स्पष्ट करने के लिए ताजमहल के बंद 22 कमरों को भी खोलने की मांग की गयी थी। इसमें

1951 और 1958 में बने कानूनों को संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध घोषित किए जाने की भी मांग की गई थी ।

इन्हीं कानूनों के तहत ताजमहल, फतेहपुर सीकरी का किला और आगरा के लाल किले आदि इमारतों को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया था ।

यह याचिका अयोध्या निवासी डॉक्टर रजनीश सिंह ने अपने वकीलों राम प्रकाश शुक्ला और रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर की थी ।

गौरतलब है कि कई दक्षिणपंथी संगठन यह दावा कर चुके हैं कि मुगल काल का यह मकबरा अतीत में भगवान शिव का मंदिर था।

यह स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित है।

भाषा सं जफर रंजन

रंजन

 

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