लखनऊ, 16 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक दलों से अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के कर्मियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण और निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था संबंधी वादों को अपने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की गई है।
‘आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति’ के संयोजक मंडल ने रविवार को सभी राजनीतिक दलों को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें मांग की गई है कि अगर वे सही मायने में दलितों और पिछड़े वर्ग के सच्चे हितेषी हैं तो अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के कर्मचारियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था बहाल करने तथा सरकारी क्षेत्र की तरह निजी क्षेत्रों में भी आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के वादों को अपने चुनाव घोषणापत्र में शामिल करें।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि समिति के संयोजक मंडल की आज आवश्यक बैठक हुई। इसमें यह फैसला लिया गया कि इस बार प्रदेश में हर हाल में आरक्षण समर्थकों की सरकार बनानी है। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब सभी राजनीतिक दलों की यह मजबूरी होगी कि वह 85 प्रतिशत बहुजनों की आवाज पर उनके साथ खड़े हों, अन्यथा आरक्षण समर्थक उन्हें वोट की करारी चोट देंगे।
वर्मा ने बताया कि आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश की 86 आरक्षित सीटों पर अलग-अलग कमेटियां गठित करके इस बात को लेकर जागरूकता फैला रही है कि वह आरक्षण समर्थक सरकार बनाने के लिए ही वोट करें।
उन्होंने आरोप लगाया कि लंबे वक्त से यह देखने को मिल रहा है कि आरक्षित सीट से जीतने वाले ज्यादातर जनप्रतिनिधि चुने जाने के बाद आरक्षण पर हो रहे कुठाराघात पर चुप्पी साध लेते हैं और जब उनसे आरक्षण की लड़ाई लड़ने को कहा जाता है तो वे पार्टी की मजबूरी बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
भाषा सलीम अमित
अमित
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