कोयला आयात के अनुरोध पर उठे सवाल : प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग |

कोयला आयात के अनुरोध पर उठे सवाल : प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

कोयला आयात के अनुरोध पर उठे सवाल : प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : April 17, 2022/6:55 pm IST

लखनऊ, 17 अप्रैल (भाषा) उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश में पर्याप्त कोयला भंडार होने के बावजूद कोयला आयात का अनुरोध किये जाने पर सवाल उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की है।

परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने रविवार को एक बयान में कहा कि पिछली 13 अप्रैल को ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक विद्युत मंत्री आर.के. सिंह ने आयातित कोयले पर आधारित संयंत्रों के संचालन और राज्यों द्वारा सम्मिश्रण के लिए कोयले के आयात की समीक्षा की थी। इस दौरान उन्होंने राज्यों से बिजली की निर्बाध आपूर्ति के उद्देश्य से कोयले का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित करने के लिये सम्मिश्रण के उद्देश्य से 10 प्रतिशत तक कोयले का आयात करने का अनुरोध किया है।

उन्होंने बताया कि देश के कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने पिछले छह अप्रैल को लोकसभा में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट कहा है कि देश में कोयले की कोई कमी नहीं है और बढ़ी हुई कोयला आपूर्तियों के साथ अब देश में कोयला भण्डार बढ़ने लगा है।

वर्मा ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार जब खुद मान रही है कि देश में पर्याप्त कोयला भण्डार है, इसके बावजूद कोयला आयात का दबाव बनाया जा रहा है। महाराष्ट्र और हरियाणा सहित कुछ राज्यों ने विदेशी कोयला खरीदने की निविदा भी मांग ली है।

वर्मा ने कहा कि घरेलू कोयले की कीमत जहां 1700 रुपये प्रति टन है। वहीं, विदेशी कोयले का मूल्य 17000 रुपये प्रति टन है। यानी घरेलू कोयले के मुकाबले विदेशी कोयला 10 गुना तक महंगा है, जिसका बोझ महंगी बिजली के रूप में आखिरकार जनता पर ही डाला जाएगा और यह एक गम्भीर मामला है और प्रधानमंत्री मोदी से मांग है कि वह इसमें हस्तक्षेप करें।

उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की भी मांग की है।

भाषा सलीम

रंजन

रंजन

 

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