लिंग आधारित हिंसा को रोकने में मदद के लिए स्कूलों को 4 चीजें करनी चाहिए |

लिंग आधारित हिंसा को रोकने में मदद के लिए स्कूलों को 4 चीजें करनी चाहिए

लिंग आधारित हिंसा को रोकने में मदद के लिए स्कूलों को 4 चीजें करनी चाहिए

:   Modified Date:  May 3, 2024 / 12:41 PM IST, Published Date : May 3, 2024/12:41 pm IST

(गिजेल नतासिया वुडली, एडिथ कोवान विश्वविद्यालय, सारा व्रानकोविच, आरएमआईटी यूनिवर्सिटी और शैरिन बर्न्स, कर्टिन यूनिवर्सिटी)

मेलबर्न/पर्थ, तीन मई (द कन्वरसेशन) इस बात पर व्यापक सहमति है कि जब लिंग आधारित हिंसा की बात आती है तो ऑस्ट्रेलिया को बेहतर करने की जरूरत है। महिलाओं की हत्या की संख्या पर गुस्से और निराशा का इजहार करने के लिए सप्ताहांत में राष्ट्रीय स्तर पर रैलियां हुईं और बुधवार को एक विशेष राष्ट्रीय कैबिनेट बैठक हुई।

यह एक जटिल मुद्दा है जिसके लिए अभी भी पुलिस, विशेषज्ञों, संसदों और व्यापक समाज में सहयोग की आवश्यकता है। इसके एक भाग के रूप में, इसमें हमारी स्कूल प्रणाली भी शामिल है।

हाल के वर्षों में स्कूल के पहले वर्ष से लेकर 10वें साल तक यौन और रिश्तों की शिक्षा में सहमति के महत्व पर जोर दिया गया है।

यह एक स्वागत योग्य शुरुआत है। लेकिन इन मुद्दों पर पाठ्यक्रम और स्कूलों के दृष्टिकोण में बड़े अंतर बने हुए हैं। यहां चार चीजें हैं जिन्हें स्कूलों, शिक्षकों और शिक्षा अधिकारियों को हमारे समुदायों को सुरक्षित बनाने के लिए अभी लागू करना चाहिए।

1. ‘पोर्नोग्राफी साक्षरता’ को पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाएं

हम जानते हैं कि कुछ युवा दस साल की उम्र से पहले पहली बार ऑनलाइन पोर्न देख चुके होते हैं और ईसेफ्टी कमिश्नर ने ऐसी खबरें सुनी हैं कि ऐसा छह या सात साल की उम्र में हो रहा है।

शोध से यह भी पता चलता है कि बहुत सारी स्वतंत्र रूप से उपलब्ध पोर्नोग्राफी में महिलाओं के प्रति उच्च स्तर की आक्रामकता और उनपर जबरन हक जमाने पर जोर होता है और शायद ही कभी सुरक्षित यौन प्रथाओं या सहमति जैसी बात को प्रदर्शित किया जाता है। यह अनिवार्य रूप से युवाओं की सेक्स के प्रति समझ और अपेक्षाओं को आकार देता है।

हालाँकि पोर्न के संपर्क में आने से केवल नकारात्मक प्रभाव ही नहीं पड़ेगा, और पोर्नोग्राफी पूरी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, अध्ययनों से संकेत मिलता है कि यह यौन हिंसा में योगदान दे सकता है।

बुधवार को, लिंग-आधारित हिंसा को संबोधित करने के उपायों की एक श्रृंखला के हिस्से के रूप में, संघीय सरकार ने ‘‘आयु आश्वासन प्रौद्योगिकियों’’ की शुरूआत के लिए के लिए 65 लाख डॉलर की घोषणा की। यह युवाओं को ऑनलाइन पोर्नोग्राफ़ी तक पहुँचने से रोकने की कोशिश करने की तकनीक है।

लेकिन हम केवल इस तरह के उपायों पर भरोसा नहीं कर सकते। पिछले अगस्त में, संघीय अवसंरचना विभाग ने वर्तमान प्रौद्योगिकियों को ‘‘अपरिपक्व’’ के साथ ही गोपनीयता और सुरक्षा के लिए जोखिम बताया था। यह शोधकर्ताओं की समान चिंताओं को प्रतिध्वनित करता है।

जैसा कि 2020 के यूके के अध्ययन से भी पता चला है, युवाओं को पोर्नोग्राफ़ी देखने से रोकना अवास्तविक और अव्यावहारिक है। युवा लोग भी ऐसी रोक से बचने के उपाय ढूंढते हैं।

एक अधिक प्रभावी दृष्टिकोण युवाओं को इस संबंध में साक्षर बनाना है। इसका मतलब है कि पोर्नोग्राफ़ी सामग्री का आलोचनात्मक विश्लेषण और पोर्नोग्राफी में अमूमन पाए जाने वाले संदेशों को बेहतर ढंग से समझें। ऐसा करने पर, वे संभावित रूप से हानिकारक संदेशों या छवियों से बच सकते हैं, जिन्हें वह अकसर देखते हैं।

लेकिन पोर्न साक्षरता फिलहाल अनिवार्य पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं है। इसका उल्लेख केवल वर्ष 9 और वर्ष 10 में स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा सीखने के क्षेत्र के हिस्से के रूप में सुझाए गए विकल्प के रूप में किया गया है।

पोर्न के बारे में अनिवार्य आयु-उपयुक्त चर्चा प्राथमिक वर्षों में शुरू होनी चाहिए, ताकि जब युवा लोग पहली बार इस सामग्री को देखें तो वह जानते हों कि इसका सामना किस तरह से करना है, और हाई स्कूल के वर्षों तक इसका विकास जारी रहे।

2. वर्ष 11 और 12 में सेक्स और रिश्तों के बारे में पढ़ाते रहें

फिलहाल, राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा शिक्षा वर्ष 10 में बंद हो जाती है, जिसमें छात्र स्कूली शिक्षा के अंतिम दो वर्षों में विशिष्ट विषयों का चयन करते हैं।

यह एक समस्या है क्योंकि छात्रों के अपने वरिष्ठ वर्षों में डेटिंग या यौन रूप से सक्रिय होने की संभावना बढ़ जाती है। औसतन, आस्ट्रेलियाई लोग 15 साल की उम्र में यौन रूप से सक्रिय हो जाते हैं (जब वह कक्षा 9 और 10 में होते हैं)।

जबकि वर्ष 11 और 12 के छात्र अपने शैक्षणिक अध्ययन में व्यस्त हैं, फिर भी वे नियमित रूप से संबंध और यौन संबंधों का पाठ पढ़ सकते हैं। इसमें विशेषज्ञों या शिक्षकों के नेतृत्व में सत्र, या साथियों के साथ छोटे समूह की चर्चाएं शामिल हो सकती हैं, जिसमें गुमनाम प्रश्न बॉक्स शामिल हो सकते हैं।

3. सभी युवाओं को ‘अपस्टैंडर्स’ बनना सिखाएं

शोध से पता चलता है कि लिंग आधारित हिंसा के बारे में शिक्षा तब बेहतर काम करती है जब यह लड़कों और पुरुषों को ‘‘गलत काम करने वालों’’ के रूप में चित्रित करने के बजाय समाधान का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है।

इसका मतलब यह है कि शिक्षा को युवाओं को यह दिखाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है कि जब वे हानिकारक व्यवहार देखते हैं तो ‘‘समझदार’’ कैसे बनें।

स्कूल और शिक्षक ऐसी जानकारी प्रदान करके ऐसा कर सकते हैं जो उन्हें यह पहचानने में मदद करती है कि उन्हें किन व्यवहारों का सामना पड़ सकता है और कैसे प्रभावी ढंग से उनका सामना करना है।

स्कूल अपने छात्रों को यह भी सिखा सकते हैं कि हिंसा या आक्रामकता का सहारा लिए बिना अपनी भावनाओं को कैसे प्रबंधित करें और संघर्षों को हल करने के लिए कैसे संवाद करें।

सभी लिंग यौन हिंसा का अनुभव कर सकते हैं, हालांकि, लड़कों और पुरुषों को अक्सर कम समर्थन का सामना करना पड़ता है और अपने अनुभवों का खुलासा करते समय अधिक अपमान का सामना करना पड़ता है। स्कूल परिवेश के लिए सभी युवाओं को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है ताकि जरूरत पड़ने पर वे सहायता प्राप्त करने में सुरक्षित महसूस करें।

4. संवेदनशील सामग्री पढ़ाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करें

ऐसी संवेदनशील सामग्री वितरित करना कठिन हो सकता है और इसलिए, विशिष्ट प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

लेकिन फिलहाल, शिक्षकों के लिए शिक्षण शुरू करने से पहले और कक्षाओं में जाने के बाद यौन शिक्षा में पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं है। ऐसे में होता यह है कि अन्य विषयों के शिक्षक – जैसे गणित या इतिहास – अक्सर सेक्स और रिश्तों से जुड़ी सामग्री वितरित करते हैं।

इससे शिक्षक इस सामग्री के प्रसार में उतनी रूचि नहीं ले पाते हैं।

इसलिए हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि यौन संबंधों और रिश्तों पर विशिष्ट इकाइयाँ सभी शिक्षण डिग्रियों का हिस्सा हों और मौजूदा शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास हो। इस प्रशिक्षण को सरकारों द्वारा अनिवार्य और वित्त पोषित किया जाना चाहिए।

द कन्वरसेशन एकता एकता

एकता

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)