बाइडन प्रशासन पन्नू मामले में भारत से अपेक्षित जवाबदेही को लेकर संतुष्ट : गार्सेटी |

बाइडन प्रशासन पन्नू मामले में भारत से अपेक्षित जवाबदेही को लेकर संतुष्ट : गार्सेटी

बाइडन प्रशासन पन्नू मामले में भारत से अपेक्षित जवाबदेही को लेकर संतुष्ट : गार्सेटी

:   Modified Date:  May 10, 2024 / 10:46 AM IST, Published Date : May 10, 2024/10:46 am IST

(ललित के झा)

वाशिंगटन, 10 मई (भाषा) अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने अमेरिकी जमीन पर एक अलगाववादी सिख नेता की हत्या की कथित साजिश में भारतीय अधिकारियों के शामिल होने के आरोपों पर भारत से जिस जवाबदेही की उम्मीद की थी, वह उसे लेकर अब तक उठाए गए कदमों से संतुष्ट है।

अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने पिछले साल नवंबर में भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया था।

आतंकवाद के आरोपों में भारत में वांछित पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया था।

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने शीर्ष अमेरिकी थिंक-टैंक ‘काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ (सीएफआर) द्वारा बृहस्पतिवार को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, ‘किसी भी रिश्ते में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं और इस मामले में यह संबंधों में पहली बड़ी लड़ाई हो सकती थी और शुक्र है कि हमने जैसी जवाबदेही की अपेक्षा की थी, प्रशासन अब तक उससे संतुष्ट है क्योंकि अमेरिका एवं हमारे नागरिकों के लिए यह अस्वीकार्य है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक आपराधिक मामला है जिसमें अभियोग चलाया गया है। यदि इसमें सरकारी तत्व शामिल हैं, तो जवाबदेही होनी चाहिए। हम न केवल अपने आप से, बल्कि भारत से भी इस जवाबदेही की उम्मीद करते हैं।’’

गार्सेटी ने कहा, ‘‘भारत ने एक जांच आयोग बनाया है।’’ उन्होंने कहा कि भारत ने अभी तक जो कदम उठाए हैं उससे वह संतुष्ट हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि प्रशासन संतुष्ट है, लेकिन हमें अब भी कई कदम उठाने हैं।’’

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रहे माइकल फ्रोमैन भी गार्सेटी के साथ इस चर्चा में शामिल हुए।

फ्रोमैन ने कहा कि हर कोई ऐसा मान रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोबारा चुने जाएंगे।

‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने अज्ञात स्रोतों का हवाला देते हुए पिछले साल अमेरिकी धरती पर पन्नू की हत्या की कथित साजिश में ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (रॉ) के एक अधिकारी के शामिल होने का आरोप लगाया था।

भारत ने इन आरोपों को सिर से खारिज करते हुए कहा है कि रिपोर्ट में एक गंभीर मामले पर ‘‘अनुचित और निराधार’’ आरोप लगाए गए हैं और मामले की जांच जारी है।

भारत में ‘‘मानवाधिकार की स्थिति को लेकर अमेरिका के कुछ हलकों में व्यक्त की जा रही चिंताओं’’ से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए गार्सेटी ने कहा कि यह अमेरिका की जिम्मेदारी नहीं है।

गार्सेटी ने कहा, ‘‘भारत में चीजें ठीक करना अमेरिका की जिम्मेदारी नहीं है। भारत के साथ जुड़ना, अपने हितों को बढ़ावा देना और हमारे मूल्यों को प्रतिबिंबित करना अमेरिका की जिम्मेदारी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको बता सकता हूं कि ये (संबंध) बहुत मजबूत हैं। मुझे लगता है कि बाहर से लोग कहते हैं कि वे भारत के साथ रणनीतिक संबंध चाहते हैं, इसलिए जब मानवाधिकार के मुद्दों और अन्य चीजों की बात आती है तो हर कोई इन्हें नजरअंदाज कर देता है। असल में ऐसा नहीं है।’’

गार्सेटी ने कहा कि चाहे मानवाधिकार संबंधी रिपोर्ट हो या धार्मिक स्वतंत्रता पर कोई रिपोर्ट, अमेरिका हमेशा भारत के साथ इस पर चर्चा करता है।

उन्होंने कहा, ‘उदाहरण के लिए, भारत के मणिपुर राज्य में हिंसा हुई, जहां दो अलग-अलग जातीय समूहों के बीच लड़ाई हो रही है। भारत में मेरे कार्यकाल के दूसरे या तीसरे महीने में मुझसे पूछा गया कि आप वहां हिंसा की स्थिति के बारे में क्या सोचते हैं?’’

गार्सेटी ने कहा, ‘‘मैंने उत्तर दिया… क्योंकि हमने कुछ भयावह तस्वीरें देखीं, महिलाओं को सड़कों पर घसीटा जा रहा था, लोगों को मारा गया और गोलियां चलाई गईं, गिरजाघरों और मंदिरों को जला दिया गया। जब हम पीड़ा देखते हैं तो एक मनुष्य के रूप में हमारा दिल दुखता है। यह पहला बिंदु है।’’

उन्होंने कहा कि दूसरा बिंदु यह है कि यह एक भारतीय मुद्दा है जिसे भारत को हल करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘और तीसरी बात यह है कि यदि अमेरिका से कहा जाता है तो वह किसी भी तरह से सहयोग और मदद करने के लिए तैयार है।’’

गार्सेटी ने कहा, ‘‘आपने शायद यह विमर्श नहीं सुना होगा कि भारत मानवाधिकारों के मामले में हमसे कहीं अधिक आगे है। जब ट्रांसजेंडर के अधिकारों की बात आती है, तो वे (आगे) हैं।’’

भाषा सिम्मी मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)