ब्रिटेन ने अफगानिस्तान में अपने सहयोगियों को तालिबान की दया पर छोड़ा: व्हिसलब्लोअर |

ब्रिटेन ने अफगानिस्तान में अपने सहयोगियों को तालिबान की दया पर छोड़ा: व्हिसलब्लोअर

ब्रिटेन ने अफगानिस्तान में अपने सहयोगियों को तालिबान की दया पर छोड़ा: व्हिसलब्लोअर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : December 7, 2021/9:08 pm IST

लंदन, सात दिसंबर (एपी) ब्रिटेन के एक व्हिसलब्लोअर ने मंगलवार को आरोप लगाया कि विदेश कार्यालय ने काबुल के विद्रोहियों के कब्जे में जाने के बाद अफगानिस्तान में अपने अनेक सहयोगियों को तालिबान की दया पर छोड़ दिया, क्योंकि इन लोगों को बाहर निकालने का अभियान निष्क्रिय रहा और इसे मनमाने ढंग से चलाया गया।

राफेल मार्शल ने एक संसदीय समिति को दिए बड़े सबूत में कहा कि ईमेल के माध्यम से मदद के लिए भेजे गए हजारों अनुरोध 21 अगस्त और 25 अगस्त के बीच पढ़े ही नहीं गए थे। विदेश कार्यालय के पूर्व कर्मचारी ने अनुमान व्यक्त किया कि ब्रिटेन के एक कार्यक्रम के तहत देश छोड़ने के लिए आवेदन करने वाले अफगान नागरिकों में से केवल पांच प्रतिशत लोगों को ही मदद मिल पाई।

विदेश कार्यालय का यह पूर्व कर्मचारी मेल पर आने वाले संदेशों की निगरानी करने के कार्य से जुड़ा था।

व्हिसलब्लोअर ने विदेश मामलों की प्रवर समिति को लिखा कि इनबॉक्स में आमतौर पर किसी भी समय 5,000 से अधिक अपठित ईमेल होते थे, जिनमें अगस्त की शुरुआत से अनेक अपठित ईमेल शामिल थे।

उन्होंने लिखा, ‘‘ये ईमेल हताशा भरे और जरूरी थे। मैं ऐसे कई शीर्षक देखकर दहल गया जिनमें लिखा था…कृपया मेरे बच्चों को बचाओ।’

मार्शल ने कहा कि पीछे छोड़ दिये गए लोगों में से कुछ को तालिबान ने मार डाला।

संबंधित संकट से निपटने संबंधी अभियान के बाद न्याय सचिव बनाए गए ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने उस दौरान के अपने कार्यों का बचाव किया।

उन्होंने बीबीसी से कहा, ‘कुछ आलोचना जमीनी तथ्यों से हटकर लगती है। तालिबान के कब्जे के बाद दुनियाभर में अप्रत्याशित अभियानगत दबाव था।’’

इस साल 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद लगभग समूचे अफगानिस्तान पर उसका नियंत्रण हो गया था, जिसके बाद हजारों लोग देश छोड़ने को बेताब हो उठे थे और अमेरिका, ब्रिटेन तथा अन्य सहयोगी देशों ने अफगानिस्तान में अपने मददगार रहे अफगान लोगों को निकालने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया था और इस दौरान भीषण अफरातफरी के दृश्य दिखे थे।

ब्रिटेन दो सप्ताह में 15,000 लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने में कामयाब रहा था, और सरकार का कहना है कि उसने तब से 3,000 से अधिक अन्य लोगों को अफगानिस्तान छोड़ने में मदद की है।

हालांकि, सरकार द्वारा अगस्त में घोषित की गई एक अफगान पुनर्वास योजना, जिसमें 20,000 अन्य लोगों को ब्रिटेन लाने का लक्ष्य रखा गया है, अभी तक शुरू नहीं हो पाई है।

विदेश मामलों की समिति के मुखिया एवं कंजर्वेटिव सांसद टॉम तुगेंदत ने कहा कि मार्शल की गवाही ‘विदेश कार्यालय के नेतृत्व के बारे में गंभीर सवाल उठाती है।’

समिति विदेश कार्यालय के वरिष्ठ लोकसेवकों से मंगलवार को पूछताछ करने वाली है।

एपी नेत्रपाल दिलीप

दिलीप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers