वाशिंगटन, 25 अप्रैल (भाषा) अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र अध्ययन रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में मानवाधिकारों के हनन के मामलों की संख्या और दायरा बढ़ गया है।
स्वतंत्र कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) द्वारा जारी बुधवार को जारी संक्षिप्त ‘भारत: मानवाधिकार आकलन’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘बाइडन प्रशासन वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत को 10.3 करोड़ की अमरीकी डॉलर की विदेशी सहायता का अनुरोध करता है। कांग्रेस इस बात पर विचार कर सकती है कि क्या भारत में मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता में सुधार के लिए ऐसी कुछ या सभी सहायता को लेकर शर्त रखी जाए।’’
सीआरएस अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र अनुसंधान शाखा है जो संसद सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर रिपोर्ट तैयार करती है ताकि वे जानकारी पर आधारित निर्णय ले सकें।
नवीनतम सीआरएस रिपोर्ट मानवाधिकार प्रथाओं पर विदेश विभाग की ‘2023 कंट्री रिपोर्ट’ के कुछ दिनों बाद आई है जिसमें कहा गया है कि भारत मानवाधिकारों के उल्लंघन के कई मामलों का केंद्र है जिनमें से कई गंभीर हैं, कुछ को राज्य और संघीय सरकारों या उनके एजेंटों द्वारा अंजाम दिया जाता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बृहस्पतिवार को विदेश विभाग की रिपोर्ट को ‘गहरा पक्षपातपूर्ण’ करार दिया और कहा कि यह भारत के बारे में खराब समझ को दर्शाता है। उन्होंने दिल्ली में अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘हम इसे कोई महत्व नहीं देते हैं और आपसे भी ऐसा करने का आग्रह करते हैं।’’
सीआरएस ने अपनी नवीनतम तीन पेज की रिपोर्ट में कहा है कि, ‘‘संयुक्त राष्ट्र, अन्य अंतर सरकारी संगठनों और कई गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने समान चिंताओं से अवगत कराया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में, खासकर 2019 में उनके पुनर्निर्वाचन के बाद से दुर्व्यवहार का दायरा और मामले बढ़ गये हैं।’’
भाषा संतोष माधव
माधव
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)