अविश्वास प्रस्ताव के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की समीक्षा चाहते हैं इमरान खान |

अविश्वास प्रस्ताव के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की समीक्षा चाहते हैं इमरान खान

अविश्वास प्रस्ताव के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की समीक्षा चाहते हैं इमरान खान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:30 PM IST, Published Date : May 13, 2022/8:25 pm IST

(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, 13 मई (भाषा) पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर तत्कालीन नेशनल असेंबली स्पीकर के फैसले पर शीर्ष अदालत के सात अप्रैल के निर्णय को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका दायर की है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेटर से नेता बने खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को रद्द करने के नेशनल असेंबली के स्पीकर कासिम सूरी के विवादास्पद कदम को खारिज कर दिया था।

खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी से जुड़े सूरी ने तीन अप्रैल को पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करते हुए दावा किया था कि यह सरकार को हटाने की “विदेशी साजिश” से जुड़ा है इसलिए स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है। कुछ मिनटों बाद ही राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने खान के परामर्श पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था। खान प्रभावी रूप से बहुमत खो चुके थे।

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने शुक्रवार को बताया कि बृहस्पतिवार को दायर अपनी पुनर्विचार याचिका में खान ने दलील दी कि संविधान का अनुच्छेद 248 किसी भी अन्य संस्था को संसद के मामलों में हस्तक्षेप करने से रोकता है और सूरी ने जब अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किया था तो उनका फैसला अनुच्छेद 5 के अनुसार था।

खबर के मुताबिक, इम्तियाज सिद्दीकी और चौधरी फैसल हुसैन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 248 किसी भी अदालत के समक्ष किसी भी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करने के लिए आवेदक को जवाबदेह नहीं बनाता है। याचिका में दलील दी गई कि पीठ ने अनुच्छेद 66, 67 और 69 के प्रावधानों को पहचानने में गलती की है।

याचिका में कहा गया, “सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के आदेश की पहचान करने में गलती की है जो यह सुनिश्चित करता है कि संसद, साथ ही साथ उसके सदस्य / अधिकारी, इसलिए, राष्ट्रपति और साथ ही प्रधानमंत्री अपने कार्यों के साथ-साथ विवेकाधीन शक्तियों का प्रयोग करने पर किसी भी न्यायालय के समक्ष उत्तरदायी नहीं हैं।”

इसमें कहा गया कि इसके साथ ही संविधान के तहत किसी भी अदालत के समक्ष उनके संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।

याचिका में कहा गया है, “सर्वोच्च न्यायालय की माननीय पीठ द्वारा प्रयोग किया गया संपूर्ण अधिकार क्षेत्र संविधान के अनुच्छेद 175 का उल्लंघन है।”

भाषा

प्रशांत नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)