इस्पात उत्पादन बढ़ने से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में उत्सर्जन में वृद्धि संभव : रिपोर्ट |

इस्पात उत्पादन बढ़ने से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में उत्सर्जन में वृद्धि संभव : रिपोर्ट

इस्पात उत्पादन बढ़ने से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में उत्सर्जन में वृद्धि संभव : रिपोर्ट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:01 PM IST, Published Date : May 17, 2022/1:13 pm IST

(गुरदीप सिंह)

सिंगापुर, 17 मई (भाषा) ‘ब्लास्ट फर्नेस’ और ‘बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस’ के जरिये कच्चे इस्पात का उत्पादन बढ़ने से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में कर्बन उत्सर्जन बढ़ सकता है।

‘वुड मैकेंजी’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों में कच्चे इस्पात का उत्पादन तिगुना होने से कार्बन उत्सर्जन का स्तर मौजूदा स्तर से दोगुना बढ़ जाएगा।

भारत ने 2030-31 तक 30 करोड़ टन कच्चे इस्पात के उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जब घरेलू खपत 20 करोड़ टन से अधिक होने की उम्मीद है। भारतीय मिलों में 2021 में 11.8 करोड़ टन कच्चे इस्पात का उत्पादन हुआ था।

सिंगापुर में जारी की गई इस नयी रिपोर्ट के अनुसार, कुल मिलाकर वैश्विक इस्पात उद्योग से होने वाले कार्बन उत्सर्जन में 2021 के स्तर की तुलना में 2050 तक 30 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, ब्लास्ट फर्नेस और बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस के जरिये कच्चे इस्पात का उत्पादन बढ़ने से भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है।

भाषा निहारिका पारुल

पारुल

 

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