क्या चपटा पैर होना सामान्य है? चोटों को लेकर मिथक को खत्म करना |

क्या चपटा पैर होना सामान्य है? चोटों को लेकर मिथक को खत्म करना

क्या चपटा पैर होना सामान्य है? चोटों को लेकर मिथक को खत्म करना

:   Modified Date:  April 28, 2024 / 11:32 AM IST, Published Date : April 28, 2024/11:32 am IST

(गैब्रियल मोइसन, यूनिवर्सिटी डु क्यूबेक अ ट्रॉ-रिविएर)

ट्रॉ-रिविएर (कनाडा), 28 अप्रैल (द कन्वरसेशन) कई दशकों से शोधकर्ताओं, चिकित्सा पेशेवरों और सामान्य आबादी का मानना है कि चपटे पैर वाले लोगों में विभिन्न प्रकार की समस्याएं विकसित होने की आशंका अधिक रहती है।

विशेष रूप से, ऐसा माना जाता है कि चपटा पैर होने से व्यक्तियों को भविष्य में दर्द और अन्य मसक्यूलोस्केलेटल (यानी मांसपेशियों, शिरा या स्नायु संबंधी) समस्याएं होने की आशंका अधिक रहती है।

चपटे पैर को एक तरह का ‘टाइम बम’ माना जाता है।

हालांकि, ‘ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन’ में हाल में प्रकाशित एक संपादकीय में मेरे अनुसंधान दल ने इस मिथक को चुनौती दी। हमने दिखाया कि यह सिद्धांत निराधार है कि चपटा पैर अनिवार्य रूप से दर्द या अन्य मसक्यूलोस्केलेटल समस्याओं का कारण बनते हैं।

यूनिवर्सिटी डु क्यूबेक अ ट्रॉ-रिविएर (यूक्यूटीआर) में पादचिकित्सा (पोडियाट्रिक मेडिसिन) के अनुसंधानकर्ता के तौर पर मैं यहां अपने अध्ययन के मुख्य निष्कर्षों के बारे में बताऊंगा।

यह सिद्धांत कहां से आया?

चपटा पैर एक समस्या होने का सिद्धांत सदियों पुराना है।

इसे 20वीं सदी के उत्तरार्ध में अमेरिकी पोडियाट्रिस्ट मेर्टन एल. रूट, विलियम पी. ओरियन और जॉन एच. वीड द्वारा पुनर्जीवित किया गया, जिन्होंने ‘आदर्श’ या ‘सामान्य’ पैरों की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया।

उन्होने कहा कि यदि पैर सामान्यता के विशिष्ट मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं (उदाहरण के लिए, पैर का अच्छी तरह से चापाकार (आर्च) में उठना यानी की तलवे के बीच में अंतराल होना, टिबिया के अनुरूप सीधी एड़ी) तो वे असामान्य हैं।

यह सिद्धांत स्वास्थ्य पेशेवरों के शैक्षणिक कार्यक्रमों में अहम बन गया है। हालांकि, आधुनिक पाठ्यक्रम आने से यह धीरे-धीरे गायब हो रहा है।

क्या चपटे पैर से मसक्यूलोस्केलेटल चोटें आती हैं?

रूट और उनके सहकर्मियों के सिद्धांत के विपरीत उच्च स्तर के वैज्ञानिक प्रमाणों से पता चलता है कि चपटे पैर वाले लोगों में अधिकांश मसक्यूलोस्केलेटल चोटें आने का कोई खतरा नहीं होता है।

बहरहाल, इन निष्कर्षों के बावजूद अक्सर यह कहा जाता है कि चपटे पैर वाले लोगों में चोट का अधिक खतरा है या उन्हें इलाज की आवश्यकता होती है जबकि उनमें बीमारी का कोई लक्षण भी नहीं होता।

दुर्भाग्यपूर्ण रूप से इसके कारण लोगों ने अनावश्यक हस्तक्षेप किया है जैसे कि चपटे पैर वाले लोगों के लिए ऑर्थोपेडिक जूते।

हालांकि, यह संभव है कि चपटे पैर वाले किसी व्यक्ति को मसक्यूलोस्केलेटल चोट आ सकती है लेकिन इसका आवश्यक रूप से यह मतलब नहीं है कि चपटे पैर से चोट आती है।

द कन्वरसेशन

गोला शोभना

शोभना

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)