नेपाल की जनसंख्या में 80 साल में सबसे कम वृद्धि: मीडिया रिपोर्ट |

नेपाल की जनसंख्या में 80 साल में सबसे कम वृद्धि: मीडिया रिपोर्ट

नेपाल की जनसंख्या में 80 साल में सबसे कम वृद्धि: मीडिया रिपोर्ट

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : January 26, 2022/7:59 pm IST

काठमांडू, 26 जनवरी (भाषा) नेपाल की जनसंख्या में बीते आठ दशक में सबसे कम 0.93 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जिसकी मुख्य वजह नौकरी और पढ़ाई के सिलसिले में नेपालियों के विदेश प्रवास को बताया जा रहा है। बुधवार को मीडिया में आईं खबरों में यह जानकारी दी गई है।

समाचार पत्र ‘काठमांडू पोस्ट’ ने खबर दी है कि राष्ट्रीय जनसंख्या 2021 के प्रारंभिक परिणामों में यह संकेत भी मिला है कि नेपाल में जनसंख्या वृद्धि दर विश्व स्तर पर जनसंख्या की औसत वृद्धि दर से कम है। इन परिमाणों को केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (सीबीएस) ने सार्वजनिक किया है।

खबर में ब्यूरो के उप महानिदेशक हेमराज रेग्मी के हवाले से कहा गया है, ”नेपाल की जनसंख्या 29,192,480 तक पहुंच गई है। इसकी मुख्य वजह नौकरी और पढ़ाई के सिलसिले में नेपालियों का विदेश प्रवास है।”

राष्ट्रीय सांख्यिकीय एजेंसी ने नवंबर में आयोजित राष्ट्रीय जनगणना के प्रारंभिक आंकड़ों का अनावरण करते हुए कहा कि नेपाल की औसत वार्षिक जनसंख्या में 0.93 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ब्यूरो ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि 80 वर्षों में सबसे कम है।

रेग्मी ने कहा, ”2011 में हुई पिछली जनगणना में औसत जनसंख्या वृद्धि दर 1.35 प्रतिशत थी। 2011 की जनगणना के दौरान नेपाल की जनसंख्या 26,494,504 थी।”

आंकड़ों के मुताबिक, 2,169,478 नेपाली विदेश में रह रहे हैं। इनमें 81.28 फीसदी पुरुष हैं।

रेग्मी ने कहा कि नेपाल में जनसंख्या वृद्धि दर विश्व स्तर पर जनसंख्या की औसत वृद्धि दर से कम है।

विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक औसत वार्षिक वृद्धि दर 1.01 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि ब्यूरो ने अगले छह से सात महीनों के भीतर अंतिम जनगणना रिपोर्ट का अनावरण करने की योजना बनाई है। आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाओं की आबादी 14,901,169 जबकि पुरुषों की संख्या 14,291,311 है।

नेपाल 1911 से हर 10 साल में राष्ट्रीय जनगणना करता आ रहा है।

‘माय रिपब्लिका’ पोर्टल की खबर के अनुसार सीबीएस के महानिदेशक नबीन लाल श्रेष्ठ ने कहा कि उन्होंने लिपुलेक, कालापानी और लिंपियाधुरा की जनगणना भी की और विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है।

नेपाल के मंत्रिमंडल ने पिछले साल मई में, भारत के साथ सीमा विवाद के बीच लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्र में दिखाने वाले एक नए राजनीतिक मानचित्र का समर्थन किया था।

भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे ”एकतरफा कार्रवाई” कहा था और काठमांडू को आगाह किया था कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा ”कृत्रिम विस्तार” उसे स्वीकार्य नहीं है।

भारत ने भी नवंबर 2019 में नया मानचित्र प्रकाशित किया था, जिसमें उसने इन इलाकों को अपने क्षेत्र में दिखाया था।

भाषा जोहेब माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)