नये अध्ययन से सक्रिय ज्वालामुखियों में विस्फोट के संकेतों का पता चला |

नये अध्ययन से सक्रिय ज्वालामुखियों में विस्फोट के संकेतों का पता चला

नये अध्ययन से सक्रिय ज्वालामुखियों में विस्फोट के संकेतों का पता चला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:37 PM IST, Published Date : April 21, 2022/2:44 pm IST

(कैंटरबरी विश्वविद्यालय से डेविड डेम्पसी और अल्बर्टो अर्दीड तथा ऑकलैंड विश्वविद्यालय से शेन क्रोनिन)

ऑकलैंड, 21 अप्रैल (द कन्वरसेशन) वैज्ञानिक और भावनात्मक तौर पर हमें लगता है कि प्रत्येक ज्वालामुखी की अपनी एक विशेषता होती है। हालांकि, हमने पाया है कि ज्वालामुखी अपने व्यवहार के संबंध में संकेत देते हैं, जो उनमें होने वाले विस्फोट की चेतावनी प्रणाली का आधार बन सकते हैं।

अपने अद्भुत परिदृश्य और शानदार जलतापीय सुविधाओं के साथ व्हाकारी व्हाइट द्वीप प्लेंटी की खाड़ी में एक ऐसा ज्वालामुखी द्वीप है जो एक समय पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र था।

लेकिन नौ दिसंबर 2019 को ज्वालामुखी में विस्फोट होने के बाद उच्च दाब वाली भाप और गैस निकली, जिसके परिणामस्वरूप इसकी प्रमुख घाटी में गर्म राख का गुबार छा गया और भारी तबाही हुई।

इस हादसे के समय वहां कुल 47 लोग थे जिनमें से 22 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि अन्य लोग बुरी तरह से झुलस गए थे।

शोधार्थी उस त्रासदी के बाद से ही व्हाकारी व्हाइट द्वीप में पहले हुए सभी विस्फोटों का अध्ययन कर रहे हैं तथा अचानक होने वाले विस्फोट के चेतावनी संकेतों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। शोधार्थी इसके जैसे ज्वालामुखियों का भी अध्ययन कर रहे हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक प्रत्येक ज्वालामुखी अलग तरह से व्यवहार करता है। कुछ में क्रेटर झीलें होती हैं जबकि अन्य शुष्क होते हैं, उनमें विविध गर्म तरल पदार्थ होते हैं और अलग-अलग ऊंचाई तक बढ़ते हैं।

इन विभिन्नताओं के बावजूद शोधार्थियों का मानना है कि न्यूजीलैंड में व्हाकारी, रुआपेहू और टोंगारियो जैसे ज्वालामुखियों को उनके क्रेटर के नीचे उथली उप-सतह में सामान्य प्रक्रियाओं द्वारा विस्फोट के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने अपने नए अध्ययन में न्यूजीलैंड के ज्वालामुखियों और दुनिया भर के तीन अन्य ज्वालामुखियों से 40 वर्षों के भूकंपीय आंकड़ों की जांच करने के लिए ‘मशीन लर्निंग’ प्रौद्योगिकी का उपयोग किया। शोधार्थियों ने विशेष आवृत्तियों को सुनकर गैस, मैग्मा (गर्म तरल पर्दार्थ) और पानी की मौजूदगी के संकेतों का पता लगाने की कोशिश की।

द कन्वरसेशन रवि कांत सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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