पोप ने देवसहायम पिल्लई को संत की उपाधि प्रदान की |

पोप ने देवसहायम पिल्लई को संत की उपाधि प्रदान की

पोप ने देवसहायम पिल्लई को संत की उपाधि प्रदान की

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : May 15, 2022/2:54 pm IST

वेटिकन सिटी, 15 मई (भाषा) पोप फ्रांसिस ने रविवार को वेटिकन में देवसहायम पिल्लई को संत की उपाधि प्रदान की। पिल्लई ने 18वीं सदी में ईसाई धर्म अपनाया था।

देवसहायम, पहले भारतीय आमजन हैं जिन्हें पोप ने संत घोषित किया है।

देवसहायम को पुण्य आत्मा घोषित करने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुशंसा वर्ष 2004 में कोट्टर धर्मक्षेत्र, तमिलनाडु बिशप परिषद और कांफ्रेंस ऑफ कैथोलिक बिशप ऑफ इंडिया के अनुरोध पर की गई थी।

पोप फ्रांसिस ने रविवार को वेटिकन के सेंट पीटर बैसिलिका में संत की उपाधि प्रदान करने के लिए आयोजित प्रार्थना सभा में देवसहायम पिल्लई को अन्य नौ लोगों के साथ संत घोषित किया।

पिल्लई के चमत्कारिक परोपकारी कार्यों को पोप फ्रांसिस ने वर्ष 2014 में मान्यता दी गई थी। इससे वर्ष 2022 में उन्हें (पिल्लई को) संत घोषित किए जाने का रास्ता साफ हो गया था।

प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही पिल्लई पहले भारतीय आमजन हैं जो संत घोषित किये गये हैं। उन्होंने वर्ष 1745 में ईसाई धर्म स्वीकार करने के बाद अपना नाम ‘लाजरस’ रखा था।

देवसहायम का जन्म 23 अप्रैल 1712 में एक हिंदू नायर परिवार में हुआ था। उनका मूल नाम नीलकंठ पिल्लई है। वह कन्याकुमारी स्थित नट्टलम के रहने वाले थे जो तत्कालीन त्रवणकोर राज्य का हिस्सा था।

वह त्रावणकोर के महाराजा मार्तंड वर्मा के दरबार में कर्मचारी थे। उन्हें डच नौसेना के कमांडर ने कैथोलिक ईसाई धर्म की दीक्षा दी थी।

‘‘लजारस’’ या मलयालम में ‘‘देवसहायम’’ का अभिप्राय है, ‘‘ईश्वर मेरा मददगार है।’’

देवसहायम को उनके जन्म के 300 साल बाद कोट्टर में दो दिसंबर 2012 को सौभाग्यशाली घोषित किया गया।

भाषा धीरज सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)