जेनिफर आर्थर, क्रायोस्फेरिक रिमोट सेंसिंग में पीएचडी छात्र, डरहम विश्वविद्यालय
डरहम, 25 अप्रैल (द कन्वरसेशन) अंटार्कटिक में गर्मियों के दौरान, हवा का तापमान अंटार्कटिका के 99% भाग में फैली बर्फ को पिघलाने के लिए पर्याप्त गर्म हो जाता है।
यह पिघला हुआ पानी इस विशाल महाद्वीप के किनारों के आसपास हजारों झीलों का निर्माण करता है।
इनमें से अधिकांश झीलें बर्फ के तैरते हुए विशाल प्लेटफार्मों पर बनी हैं, जिन्हें बर्फ के शेल्व्स कहा जाता है, जो महाद्वीप से समुद्र तक फैली हुई हैं।
इन बर्फ की शेल्व्स की सतह पर बनने वाली झीलें कभी-कभी उनके टूटने का कारण बन सकती हैं।
सबसे प्रसिद्ध उदाहरण अंटार्कटिक प्रायद्वीप पर लार्सन बी बर्फ की शेल्फ का पतन है, जो 2002 में कुछ ही हफ्तों में पूरी तरह से बिखर गया था।
उपग्रहों ने टूटने से पहले लार्सन बी की सतह पर हजारों झीलों की उपस्थिति और पानी के बहने को रिकॉर्ड किया था।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इन झीलों से पिघला हुआ पानी हाइड्रोफ्रेक्चरिंग नामक एक प्रक्रिया के जरिए शेल्फ के भीतर दरारों को चौड़ा और गहरा कर देता है।
बर्फ से बने विशाल शेल्व्स दहलीज के रूप में कार्य करते हैं, जो हिमनदों के रूप में जानी जाने वाली बर्फ को रोके रखते हैं।
लेकिन अगर हाइड्रोफ्रैक्चरिंग के कारण वह टूट जाती हैं, तो बर्फ की ये नदियां जो बर्फ की शेल्फ में भरी रहती हैं, समुद्र में तेजी से बहती हैं, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ता है।
वैज्ञानिकों ने हाल ही में पाया है कि अंटार्कटिक बर्फ की चादर के आसपास झीलें पहले की तुलना में अधिक व्यापक हैं।
प्रसिद्ध तैराक लुईस पुघ ने जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 2020 में इनमें से एक झील के माध्यम से एक किलोमीटर की दूरी तैर कर पार की थी।
लेकिन इन झीलों में संग्रहीत पिघला हुआ पानी वर्षों के बीच कितना भिन्न होता है, और यह जलवायु परिस्थितियों से कैसे जुड़ा है? यह कुछ मेरे सहयोगियों और मैंने नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक नए अध्ययन में खोजा है।
हमारा शोध पहली बार यह खुलासा करता है कि पूरे अंटार्कटिक में बर्फ की चादर के आसपास के वर्षों के बीच पिघले पानी की झील का कवरेज और मात्रा कैसे भिन्न होती है।
हमने पिछले सात वर्षों में इन झीलों के बदलते आकार और मात्रा को रिकॉर्ड करने के लिए पूर्वी अंटार्कटिक शीट – दुनिया में सबसे बड़ी – की 2,000 से अधिक उपग्रह छवियों का विश्लेषण किया।
अब तक, पूर्वी अंटार्कटिक बर्फ की चादर पर सतह के पिघले पानी की झीलों के अवलोकन अपेक्षाकृत दुर्लभ थे और उनके साल-दर-साल परिवर्तन काफी हद तक अज्ञात थे, जिससे यह आकलन करना मुश्किल हो गया कि क्या कुछ बर्फ की शेल्व्स जलवायु परिवर्तन के प्रभाव में टूटने के करीब थीं।
हमने पाया कि इन वर्षों के दौरान बर्फ की कुछ शेल्व्स में झील की कुल मात्रा का अंतर 200% तक और कुछ में 72% तक भिन्न हो सकता है।
पूरी बर्फ की चादर के पार, झीलों में जमा कुल पिघला हुआ पानी 2017 में चरम पर था। उस पानी से लगभग 930,000 ओलंपिक स्विमिंग पूल भर सकते थे।
अधिक वार्मिंग का अर्थ है अधिक झीलें
बर्फ की चादर की सतह पिघलने से केवल झीलें नहीं बनती हैं: पानी सतह के नीचे की परतों में हवा के रिक्त स्थान में भी रिसता है, जहां तापमान ठंडा होने पर यह जम जाता है।
ये परतें, जिन्हें फिर्न कहा जाता है, पुरानी स्नो से बनी होती हैं जो अभी तक कठोर बर्फ में तब्दील नहीं हुई हैं।
यदि प्रत्येक वर्ष हिमपात से अधिक बर्फ पिघलती है, तो फिर्न में जमा हवा में जमा पिघला पानी बदलता रहता है।
जब ऐसा होता है, तो अगली गर्मियों में बर्फ के पिघलने से बना पानी सतह पर झीलों के रूप में इकट्ठा होने के लिए मजबूर हो जाता है।
जितनी अधिक बर्फ पिघलती है, उतनी ही अधिक फ़र्न स्पंज की तरह संतृप्त हो जाती है और इसलिए सतह पर अधिक झीलें बनती हैं, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
द कन्वरसेशन एकता एकता
एकता
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)