किसी देश की ‘सॉफ्ट पावर’ समाज की रचनात्मक आकांक्षाओं को दर्शाती है: जयशंकर |

किसी देश की ‘सॉफ्ट पावर’ समाज की रचनात्मक आकांक्षाओं को दर्शाती है: जयशंकर

किसी देश की ‘सॉफ्ट पावर’ समाज की रचनात्मक आकांक्षाओं को दर्शाती है: जयशंकर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:22 PM IST, Published Date : August 17, 2022/5:00 pm IST

बैंकॉक, 17 अगस्त (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि किसी देश की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक शक्ति (सॉफ्ट पावर) उसके समाज की रचनात्मक आकांक्षाओं को दर्शाती है और सरकार उसे आगे बढ़ाने में ही मदद कर सकती है।

उन्होंने देश की बौद्धिक एवं सांस्कृतिक ताकत को और अधिक बढ़ाने के लिए विश्व स्तर पर बाजरा, आयुर्वेद, योग और पारंपरिक चिकित्सा के रूपों को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला।

जयशंकर भारत-थाईलैंड संयुक्त आयोग की नौवीं बैठक में भाग लेने के लिए मंगलवार को यहां पहुंचे और उन्होंने एक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की।

जयशंकर ने एक 16 वर्षीय थाई-भारतीय लड़की के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘यह समाज संचालित गतिविधि है। ‘सॉफ्ट पावर’ की विशेषता यह है कि यह ‘सॉफ्ट’ होती है क्योंकि यह सरकार द्वारा संचालित नहीं होती है। यह समाज की रचनात्मक आकांक्षाओं को दर्शाती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से, सरकार इसे आगे बढ़ाने में मदद कर सकती है और इसका एक उदाहरण अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है।’’

उन्होंने कहा कि खाड़ी, उत्तरी अफ्रीका और मध्य एशिया दुनिया के ऐसे क्षेत्र हैं जहां शायद भारतीय ‘सॉफ्ट पावर’ सबसे मजबूत है। उन्होंने कहा, ‘‘2014 तक ऐसा नहीं था कि लोग विदेश में योग नहीं करते थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को यह प्रेरणा मिली कि हमें इसे अंतरराष्ट्रीय उत्सव बनाना चाहिए और इसके बाद संयुक्त राष्ट्र में इसे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया था।’’

जयशंकर ने कहा कि उन्हें लगता है कि आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एकमात्र ऐसा दिन है, जिसमें दुनिया में सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव मनाया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे लिए और अधिक प्रयास करने की एक प्रेरणा होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज हम आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा के रूपों को बढ़ावा दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के जामनगर में पारंपरिक दवाओं का पहला वैश्विक केंद्र स्थापित किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी ने लोगों को पारंपरिक दवाओं के बारे में अधिक जागरूक बनाया है।’’

जयशंकर ने उदाहरण देते हुए कहा कि अब ‘अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ होगा। उन्होंने कहा, ‘‘आप में से कुछ लोगों को युवावस्था में बाजरा खाने के बारे में याद होगा। अब सभी लोगों ने चावल और गेहूं खाना शुरू किया है। अगर आप देखें कि हमारे माता-पिता और दादा-दादी ने क्या खाया, तो लगभग सभी ने बाजरा खाया था।’’

जयशंकर ने कहा कि बाजरा बहुत गुणकारी और पौष्टिक होता है और इसे बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ‘‘जब आप लोगों की खाने की शैली बदलते हैं तो बाजरे को बढ़ावा देना भी ‘सॉफ्ट पावर’ का एक उदाहरण है।’’

एक अन्य प्रश्न पर कि भारत अपने विश्वविद्यालयों को विदेशी विश्वविद्यालयों की बराबरी पर लाने के लिए क्या कर रहा है, उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात को लेकर बहुत सचेत हैं कि भारतीय विश्वविद्यालयों को बड़े पैमाने पर ‘अपग्रेड’ किये जाने की जरूरत है।’

जयशंकर ने कहा, ‘‘हम विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ अधिक सहयोग चाहते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे विश्वविद्यालय वहां के शीर्ष विश्वविद्यालयों में शामिल हों।’

उन्होंने खेलों का उदाहरण देते हुए कहा कि देश में यह संकल्प लिया गया था कि ‘हमें खेलों में बेहतर करना चाहिए, हमें खिलाड़ियों का समर्थन करना चाहिए और हमें उन्हें सुविधाएं देनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में भी ऐसा हो। एक नीति और शिक्षा मंत्री हैं जो बहुत सक्रिय हैं और वह इस पर काम कर रहे हैं कि इस लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाए। आप इस क्षेत्र में बेहतरी के लिए बहुत बड़ा बदलाव देखने जा रहे हैं।’’

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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