प्रयोगशाला में विकसित खाद्य पदार्थों के विकल्पों के समक्ष भी हैं चुनौतियां |

प्रयोगशाला में विकसित खाद्य पदार्थों के विकल्पों के समक्ष भी हैं चुनौतियां

प्रयोगशाला में विकसित खाद्य पदार्थों के विकल्पों के समक्ष भी हैं चुनौतियां

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : June 29, 2022/2:57 pm IST

(एलिजाबेथ एबर्गेल, क्यूबेक विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल)

मॉन्ट्रियल (कनाडा), 29 जून (360 इंफो) वैश्विक खाद्य संकट से निपटने के लिए वैज्ञानिक प्रयोगशाला में विकसित किए गए और अन्य खाद्य विकल्पों पर तेजी से काम कर रहे हैं, लेकिन इस क्षेत्र में कई चुनौतियां भी हैं।

जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदाओं, कोविड-19 महामारी और अब यूक्रेन युद्ध को वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए तीन बड़े खतरों के रूप में देखा जा रहा है।

हाल में जारी की गयी एक वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 के मुकाबले खाद्य पदार्थों की कमी का सामना करने वाले लोगों की संख्या दोगुना हो गयी है।

उर्वरकों की बढ़ती कीमतों और बिजली की बढ़ती दरों के अलावा कई क्षेत्रों में सूखे के कारण क्षेत्रीय स्तर पर भी अनाज की आपूर्ति में कमी आने से खाद्य संकट बढ़ रहा है।

खाद्य पदार्थों की आपूर्ति श्रृंखला इन चीजों के कारण व्यापक रूप से प्रभावित होती है जिससे खाद्य पदार्थ संबंधी प्रणालियों के लिए स्थायी रूप से अनुकूलन करना मुश्किल हो जाता है।

लेकिन, प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले स्टार्टअप और बड़े खाद्य निगम पारंपरिक खाद्य प्रणालियों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करने के नए तरीके तलाश रहे हैं। उनके लिए वैश्विक खाद्य संकट एक अवसर की तरह है।

किफायती, टिकाऊ, वैकल्पिक प्रोटीन खाद्य पदार्थ धीरे-धीरे एक व्यावसायिक वास्तविकता बनते जा रहे हैं।

अब हमारे पास पूरी तरह से पौधे-आधारित उत्पाद या प्रयोगशाला में उगाए गए खाद्य पदार्थों से उत्पन्न मांस, समुद्र से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थ, डेयरी और अंडे के रूप में विकल्प उपलब्ध हैं। साथ ही, एक कंपनी हमारे द्वारा सांस लेने वाली हवा से वैकल्पिक प्रोटीन भी बनाने पर काम कर रही है।

प्रयोगशाला में उत्पादित मांस में ऊतक इंजीनियरिंग, पुनर्योजी चिकित्सा और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें बायोमैटिरियल्स विज्ञान द्वारा जीवित जानवरों से प्राप्त स्टेम सेल को बायोरिएक्टर में बढ़ने और विकसित होने के लिए सक्षम बनाया जाता है।

वैज्ञानिक 3डी बायोप्रिंटिंग प्रौद्योगिकी का उपयोग कर भी मांस का उतपादन कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में कोशिश की एक के ऊपर एक परतें जमाई जाती हैं।

ओसाका विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने हाल में बायोप्रिंटिंग का उपयोग कर वायगु बीफ तैयार किया। उनका लक्ष्य 2025 तक कोशिका आधारित मांस उत्पादन करना है।

जीन संपादन आनुवंशिक रूप से संवर्द्धित प्रौद्योगिकी की तुलना में सस्ती है और पारपंरिक प्रजनन की तुलना में तीव्र गति से इसकी प्रक्रिया पूरी होती है।

(360इंफो) रवि कांत सुभाष

सुभाष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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