(अदिति खन्ना)
लंदन, 14 मई (भाषा) भारतीय स्नातकों के वर्चस्व वाले अध्ययन उत्तरार्ध वीजा ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों को घरेलू स्तर पर वित्तीय नुकसान की भरपाई करने और देश के शोध क्षेत्र को विस्तारित करने में मदद कर रहे हैं। ब्रिटेन सरकार की एक समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
गृह मंत्री जेम्स क्लेवरली ने स्वतंत्र प्रवासन सलाहकार समिति को नए ‘ग्रेजुएट रूट वीजा’ की समीक्षा करने की जिम्म्मेदारी सौंपी थी, जो अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अपनी डिग्री पूरी करने के बाद काम तलाशने और उसका अनुभव प्राप्त करने के लिए दो साल तक ठहरने की अनुमति देता है।
यह पाया गया कि इस वीजा श्रेणी में भारतीय छात्रों की संख्या अधिक है। 2021 और 2023 के बीच कुल जारी वीजा में 89,200 या 42 प्रतिशत वीजा उन्हें जारी किया गया।
समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर ब्रायन बेल ने कहा, ‘‘हमारी समीक्षा में सिफारिश की गई है कि ‘ग्रेजुएट रूट’ कायम रहना चाहिए क्योंकि यह ब्रिटेन की उच्चतर शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता को कमतर नहीं करता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ग्रेजुएट रूट उस पेशकश का अहम हिस्सा है जो हम अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ब्रिटेन आकर पढ़ाई करने के लिए करते हैं। इन छात्रों द्वारा भुगतान किए जाने वाले शुल्क से विश्वविद्यालयों को उस नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलती है जो उन्हें ब्रिटेन के छात्रों को शिक्षा प्रदान करने और शोध कार्यों में होता है। इन छात्रों के बिना कई विश्वविद्यालयों को वित्तीय मदद की कमी पड़ जाएगी और वहां शोध कार्य घट जाएंगे।’’
भाषा सुभाष नरेश नेत्रपाल
नेत्रपाल
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