दुनिया के सबसे बड़े मांसाहारी बाजार चीन में शाकाहार का प्रचलन बढ़ा | Demand for vegetarian food rises in China

दुनिया के सबसे बड़े मांसाहारी बाजार चीन में शाकाहार का प्रचलन बढ़ा

दुनिया के सबसे बड़े मांसाहारी बाजार चीन में शाकाहार का प्रचलन बढ़ा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:44 PM IST, Published Date : February 26, 2018/9:55 am IST

बीफ हो, पोर्क हो या अंडा-चिकन इन मांसाहारी आहारों की दुनिया में सबसे ज्यादा मांग और खपत जिस देश में होती है, वो है चीन। नॉन वेज आइटम्स के इस सबसे बड़े बाजार में पिछले कुछ समय से एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है, जो चौंकाने वाला है। ये बदलाव है, लोगों की शाकाहारी खाने में लगातार बढ़ रही दिलचस्पी। नौबत ये है कि 2014 में पोर्क की बिक्री 42.49 मीलियन टन से घटकर 2016 तक 40.85 मीलियन टन हो गई, जो 2018 में और नीचे आने की संभावना जताई जा रही है। यानी एक ओर आबादी बढ़ी है तो दूसरी ओर पोर्क की बिक्री घटी है। अगर हाल के वर्षों में चीन में शाकाहारी फूड आइटम्स के आयात की बात करें तो सब्जियों और फलों की मांग काफी ज्यादा बढ़ी है। यूएन के व्यापारिक आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ एवोकैडो रोज, जो नासपाती की तरह दिखने वाला फल है, का आयात 2010 से 2016 के बीच 13 हजार गुना तक बढ़ गया है। 

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चीन के लोगों के खानपान की इस बदलती दिलचस्पी को भांपते हुए रेस्टोरेंट्स कारोबारी भी तेज़ी से अपनी स्ट्रैटेजी बदल रहे हैं। हाल के वर्षों में चीन के बड़े शहरों में ऐसे रेस्टोरेंट्स की संख्या बढ़ी है, जहां वेज़िटेरियन फूड आइटम्स को प्रमोट किया जाता है। शंघाई में 2012 में सिर्फ 49 वेज फूड रेस्टोरेंट्स थे, जो 2017 अंत तक 100 से ज्यादा हो गए। चेंगदू में भी 2017 खत्म होने तक 80 वेजिटेरियन फूड रेस्तरां खुल चुके हैं। 

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अब आप कहेंगे कि आखिर नॉन वेज से वेज खाने की ओर बढ़ रही लोगों की इस रुचि का राज क्या है, तो आपको बता दें कि हाल के वर्षों में चीन में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर जैसी शिकायतें ज्यादा सामने आने लगी हैं। इसके साथ ही मीट कारोबार के कारण कार्बन डायऑक्साइड की मात्रा वातावरण में खतरनाक स्तर तक बढ़ा है। जैसे-जैसे लोगों में ये जागरुकता सामने आ रही है कि हेल्दी फूड न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है, उनकी रुचि हरी सब्जियों, फलों, दूध, सोयाबीन के प्रति बढ़ने लगी है। अब जाहिर है कि जब शाकाहारी खाने के सामान की मांग बढ़ेगी तो मांसाहारी खाने की खपत घटेगी क्योंकि उपभोक्ता तो उन्हीं में से हैं। 

 

 

 

वेब डेस्क, IBC24

 
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