दरभंगा (बिहार) छह मई (भाषा) दरभंगा जिले में स्थित लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में रखे हाथी दांत से निर्मित वस्तुओं के संरक्षण का मामला भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की उदासीनता के कारण अधर में लटक गया है।
बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के तहत आने वाले लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय में हाथी दांत से निर्मित वस्तुओं की संख्या देश के अन्य संग्रहालयों के मुकाबले कहीं अधिक हैं। यहां के हाथी दांत एवं काष्ठ निर्मित दुर्लभ कलावस्तुयें विश्व में सबसे सुंदर मानी जाती हैं।
दरभंगा महाराज के परिवार द्वारा दिये गये दान से ही इस संग्रहालय का निर्माण हुआ था। ये वस्तुएं महाराजा लक्ष्मीश्वर सिंह, रमेश्वर सिंह एवं कामेश्वर सिंह के संग्रह का हिस्सा हैं।
सौ साल से अधिक पुरानी होने के कारण इन कलाकृतियों का क्षरण हो रहा है जिसके संरक्षण के लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत लखनऊ स्थित नेशनल रिसर्च लेबोरेटरी फॉर कंजर्वेशन (एनआरएलसी) से 2019 में एक समझौता हुआ था।
एनआरएलसी के तत्कालीन महानिदेशक मैनेजर सिंह एवं उक्त संग्रहालय के संग्रहालयाध्यक्ष शिव कुमार मिश्र के बीच मार्च 2019 को सहमति बनी थी जिसके अनुसार संग्रहालय के 155 कलावस्तुओं का संरक्षण पर एक करोड़ पैसठ लाख पचपन हजार रुपये खर्च होना था। यह काम तीन साल मे पूरा होना था।
समझौते के अनुसार, काम शुरू होने से पहले आधी रकम करीब 83 लाख रुपये संग्रहालय द्वारा एनआरएलसी को दिया गया था।
इस संग्रहाल की कलावस्तुओं के संरक्षण का कार्य जनवरी 2020 में शुरू हुआ और कुछ संरक्षणकार्य होने के बाद नवंबर 2021 के अंत मे अचानक कार्य बंद कर दिया गया और सभी कंजर्वेटर को वापस चले गए। तबसे संग्रहालयाध्यक्ष द्वारा कई पत्र महानिदेशक के अलावा संस्कृति मंत्रालय के सचिव, संयुक्त सचिव एवं उपसचिव को भेजा गया लेकिन काम पुनः शुरू नहीं किया गया है।
संग्रहालयाध्यक्ष शिव कुमार मिश्र से इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उनके द्वारा हाल ही में एनआरएलसी के महानिदेशक को फिर से एक पत्र भेजा गया है पर अबतक संरक्षण का कार्य पुनः शुरू हो पाया है।
भाषा अनवर अर्पणा
अर्पणा
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