पटना, 27 फरवरी (भाषा) बिहार के विपक्षी ‘महागठबंधन’ के लिए मंगलवार को एक नई मुसीबत उस समय पैदा हो गयी जब कांग्रेस-राजद गठबंधन के तीन विधायक बिहार विधानसभा के भीतर सत्ता पक्ष के सदस्यों के साथ जा बैठे।
यह नाटकीय घटनाक्रम बिहार विधानसभा में भोजनावकाश के बाद हुआ। कार्यवाही शुरू होने पर राजद की संगीता कुमारी के अलावा कांग्रेस विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सिंह को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी के पीछे सदन के भीतर प्रवेश करते देखा गया।
चौधरी द्वारा इशारा करने पर वे सत्ता पक्ष की ओर बैठ गए और सत्तारूढ़ राजग के विधायकों ने मेजें थपथपाकर इसका अनुमोदन किया।
बिहार विधानसभा में इस ताजा स्थिति से एक पखवाड़ा पहले राजद के तीन विधायक उस दिन पार्टी छोड़कर चले गए थे जब उसके वरिष्ठ नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए हटा दिया गया था और जनता दल यू के अध्यक्ष नीतीश कुमार की अगुवाई में नई सरकार ने भाजपा के सहयोग से विश्वास मत हासिल किया था।
राजद ने अपने तीनों विधायकों चेतन आनंद, नीलम देवी और प्रह्लाद यादव को सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग की है ।इनमें से किसी ने भी अब तक औपचारिक रूप से पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है।
नवीनतम प्रकरण कांग्रेस के भीतर विद्रोह का पहला संकेत था
जिसने विभाजन के डर से विश्वास मत से पहले अपने 19 विधायकों में से एक को छोड़कर सभी को हैदराबाद भेज दिया था।
सिद्धार्थ सिंह जिनके बारे में कहा जाता है कि वे कांग्रेस के राज्य नेतृत्व से नाखुश थे, उन्होंने उस समय अपने विक्रम निर्वाचन क्षेत्र में पूर्व व्यस्तताओं का हवाला देते हुए बिहार छोड़ने से इनकार कर दिया था।
नीतीश कुमार के अचानक महागठबंधन छोड़ने और राजग में वापसी के परिणामस्वरूप मुरारी गौतम को पिछले महीने अपना मंत्री पद खोना पड़ा था।
भाषा अनवर
राजकुमार नरेश
नरेश
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