Political analysis of Korba Loksabha

NindakNiyre: क्या कह रही है कोरबा की कहानी, कौन किस पर पड़ रहा है भारी और किसकी लग रही है वॉट

Political analysis of Korba Loksabha:

Edited By :   Modified Date:  March 23, 2024 / 03:20 PM IST, Published Date : March 23, 2024/3:20 pm IST

बरुण सखाजी. राजनीतिक विश्लेषक

पैमाना प्रत्याशी का, कौन किस पर भारी

Political analysis of Korba Loksabha: कोरबा में तस्वीर साफ है। दो महिला नेताओं के बीच जंग है। कांग्रेस के कब्जे में यह सीट है। प्रत्याशी के रूप में अगर बात करेंगे तो सरोज पांडे भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। सफल राजनेता रही हैं। पार्टी में राष्ट्रीय फलक पर जानी जाती हैं। सामने कांग्रेस की ज्योत्सना महंत हैं। महंत प्रदेश के स्पीकर रह चुके वर्तमान नेता प्रतिपक्ष विधानसभा चरणदास महंत की पत्नी हैं। बतौर प्रत्याशी ज्योत्सना अपनी मौलिक पहचान की बजाय चरण दास महंत की पत्नी के रूप में ज्यादा जानी जाती हैं। दोनों ही कोरबा से बाहर की प्रत्याशी हैं। इसलिए स्थानीय और बाहरी का मुद्दा कम है। ज्योत्सना बतौर सांसद सक्रिय नहीं रहीं। सिर्फ प्रत्याशी के पैमाने पर देखें तो सरोज भारी पड़ रही हैं।

read more:  Suicide Attempt in Raipur Jail : जेल में बंद कैदी ने किया आत्महत्या का प्रयास। अस्पताल में इलाज के बाद ठीक होने पर हुआ खुलासा

सीट का समीकरण, गोंगपा फैक्टर किसके साथ

Political analysis of Korba Loksabha : कोरबा लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें से 3 एसटी रिजर्व हैं बाकी सामान्य। इन 8 सीटों में से 6 पर भाजपा के विधायक हैं, एक पर कांग्रेस और एक पर गोंगपा जीती है। ऐसे में यहां विधानसभा के नजरिए से कांग्रेस कमजोर जरूर दिख रही है, लेकिन मौजूदा सांसद कांग्रेस की ही हैं। इस सीट पर भाजपा से बंशीलाल महतो 2014 में जीते थे, लेकिन बहुत कम मार्जिन से। इससे पहले चरणदास महंत सांसद रह चुके हैं। यूपीए-2 में वे राज्यमंत्री भी थे। यानि परिसीमन के बाद से यह चौथा चुनाव है इनमें से 2 बार कांग्रेस जीती है। यह चौथा चुनाव होगा। कह सकते हैं इस सीट का मिजाज कांग्रेसी है। लेकिन नगरीय क्षेत्र अब बढ़ गया है, इसलिए यहां से भाजपा मजबूत हो रही है। 2019 में कमजोर प्रत्याशी के बावजूद भाजपा ने टक्कर अच्छी दी थी। सीट में गोंडवाना का अहम रोल है। इसलिए कहा जा सकता है भाजपा भले ही 6 विधायकों के साथ मजबूत दिख रही है, किंतु इन छह पर भाजपा को जीतने के लिए कम से कम प्रति सीट 20 हजार से अधिक की लीड चाहिए। क्योंकि कोरबा में सबसे अहम रोल पाली-तानाखार का रहता है। यहां से गोंगपा की एबसेंस में कांग्रेस को इकतरफा वोट मिल सकते हैं। ऐसी स्थिति में 6 सीटों से मिली औसतन 20 हजार की लीड कवर हो जाएगा। तब अहम रोल अदा करेगी रामपुर सीट। यह कांग्रेस के पास है। यानि सीट के पैमाने पर कसेंगे तो कोरबा में टक्कर कांटे की है, लेकिन थोड़ी सी यह सीट भाजपा की तरफ झुकी है।

कौन भारी, किसकी बारी

यहां टक्कर है। कांटे का मुकाबला है। कहीं कोई भारी कहीं कोई भारी है। भाजपा संगठन ने अगर सरोज पांडे को वास्तविक सपोर्ट किया तो वे इस सीट को निकाल लेंगी। भाजपा में अंदरूनी कलह डैमेज करेगा। कांग्रेस इस सीट को जीतना चाहती है, इसलिए खर्च भी करेगी। एक लाइन में कहें तो सरोज पांडे का राजनीतिक वजन ज्यादा दिख रहा है।

तो एक लाइन में क्या कहें, कौन जीतेगा

एक लाइन में कहना ही तो कठिन है। चूंकि यह सीट बहुत पेचीदा है। इतिहास कुछ और कहता है, यहां का भूगोल कुछ और। मन और जन मानस की सुनें तो भाजपा थोड़ी अपर हैंड दिख रही है। सरोज पांडे जैसी बेदाग, बेधड़क, बेहिचक और बेबाक नेता जीतने में सक्षम हैं।

read more: पाकिस्तान के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करें राजनीतिक दल: जरदारी

read more: Marathi Bhabhi Sexy Video : मराठी भाभी ने पार की हद, कैमरे के सामने बदले कपड़े, वीडियो देख मचल उठेगा आपका दिल

 
Flowers