#NindakNiyre: हिंदूराष्ट्र की बहस से नड्डा ने क्यों कर लिया Exit, क्या इसके पीछे है कोई बड़ी चुनावी रणनीती या भाग रही हिंदूराष्ट्र से, देखिए
बरुण सखाजी, राजनीतिक विश्लेषक
नड्डा की भाजपाइयों को दोटूक, दूर रहें हिंदूराष्ट्र से। संघ का अखंड भारत अखंड एजेंडा, फिर क्यों भागी भाजपा। हर कोई नड्डा की यह बात सुनकर हैरान है। क्या भाजपा अब नहीं चाहती हिंदूराष्ट्र। चलिए इन कुछ बिंदुओं को सविस्तार समझते हैं।
कौन हैं हिंदूराष्ट्र बहस समूह में
पहले जानते हैं कौन हैं हिंदूराष्ट्र पर बहस करने वाले समूह के लोग। इस समूह में सबसे आगे हैं साधू-संत, हिंदू समाज के सवर्ण जाति के लोग, पढ़े-लिखे, संभ्रांत परिवार, निचलीण जाति के लोग, िंतु जवाब सी हिंदू जातियों के अनेक लोग और कुछ जनजाति समाज भी। इस समूह में राजनीतिक रूप से सबसे बड़ी हिस्सेदार भाजपा है, शिवसेना जैसी कुछ हिंदूवादी पार्टियां भी हैं। इस बहस का केंद्र भारतीय हिंदू होते हैं।
हिंदूराष्ट्र से सबसे बड़ा फायदा किसे?
हिंदूराष्ट्र से सबसे बड़ा राजनीतिक फायदा तो भाजपा को ही मिलेगा। वह भारत के 90 करोड़ वोटर्स में से 75 करोड़ वोटर्स को सीधे एड्रेस कर सकती है। भाजपा हिंदूराष्ट्र निर्माण से ज्यादा हिंदूराष्ट्र की बा हिंदूराटर्स को सीधे ढ करोड़ वोटर्स को सीहस को तपिश देती रही है। साफ है, इससे पार्टी की ओर मतदाताओं का झुकाव बना रहता है। हिंदूराष्ट्र समूह के दीगर बहसकर्ताओं के अपने अलग-अलग फायदे हैं। जिन पर हम बाद में बात करेंगे।
फायदा है तो क्यों एक्जिट कर गए नड्डा?
अब सवाल है कि भाजपा हिंदूराष्ट्र बहस की इनिशिएटर व इगनाइटर रही है। फिर उसे क्यों एक्जिट करना पड़ा। तो इसका जवाब है, भाजपा लंबी दूरी का सोचती है। वह जानती है कि पुख्ता हिंदूराष्ट्र की बहस और हिंदूराष्ट्र का निर्माण में उसके लिए ज्यादा फायदेमंद हिंदूराष्ट्र की बहस है। फिलहाल 2024 तक वह बहस ही चाहती है, लेकिन स्वयं की एबसेंस में। ताकि बहस बनी रहे, इसका फायदा मिलता रहे और तोहमत भी न आए। आएं तो सिर्फ और सिर्फ अवार्ड्स ही आएं। एक राजनीतिक दल के रूप में अगर वह इस बहस को लीड करती है तो इसके दूसरे पक्षों को भी बल मिलेगा। इसका खतरा ये है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय बतौर सरकार भाजपा और भारत की एक राय मान लेगा। फिलहाल भारत सरकार इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहती। इसका एक कारण यह भी है कि साधू-संत अगर इस चर्चा को लीड करेंगे तो इनकी फॉलोअरशिप व हिंदू सेंटीमेंट्स मुद्दे से जुड़े रहेंगे। इस पर कांग्रेस ने कोई कच्चापन दिखाया तो भाजपा कांग्रेस को एंटी हिंदू पार्टी के रूप में कांग्रेस को नेम करने में सफल हो सकेगी। साधू-संत इस पर बहस, प्रदर्शन, कार्यक्रम करते-करते जरूर कुछ ऐसा करेंगे जो लॉ एंड ऑर्डर पर भारी पड़ेगा तो कांग्रेस कुछ भी बयान देगी भाजपा उसे ट्रैप कर लेगी। बस नड्डा ने इसीलिए इस समूह से एग्जिट किया है।
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