मुंबई, दो मई (भाषा) पिछले तीन साल में लगभग 43 प्रतिशत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारकों को अपने दावों का निपटारा कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। एक सर्वेक्षण से यह निष्कर्ष सामने आया है।
देशभर के 302 जिलों के 39,000 से अधिक लोगों के बीच कराए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि पॉलिसीधारकों को दावे नकारे जाने, आंशिक अनुमोदन और उनके निपटान में लंबा वक्त लगने जैसी चुनौतियां झेलनी पड़ीं।
सर्वे करने वाली संस्था ‘लोकलसर्किल्स’ के सर्वेक्षण में शामिल 93 प्रतिशत प्रतिभागियों में से अधिकांश ने इस स्थिति से बचने के लिए नियामकीय मोर्चे पर बदलाव की वकालत की। बीमा कंपनियों को हर महीने अपनी वेबसाइट पर विस्तृत दावों और पॉलिसी रद्दीकरण डेटा का खुलासा अनिवार्य करने की मांग भी शामिल है।
लोकलसर्किल्स ने बयान में कहा, ‘‘भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के कुछ हस्तक्षेपों के बावजूद उपभोक्ताओं को अपने स्वास्थ्य दावे प्राप्त करने के लिए बीमा कंपनियों से जूझना पड़ रहा है।’’
इसने स्वास्थ्य बीमा दावों को बीमा कंपनी द्वारा नकारे जाने और पॉलिसी निरस्त कर देने जैसी समस्याओं का भी उल्लेख किया। कई बार बीमा कंपनियां दावे में की गई समूची राशि के बजाय आंशिक राशि को ही मंजूरी देती हैं।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
ऊंचा हवाई किराया एक चुनौती : थॉमस कुक इंडिया
2 hours ago