7th CPC News: सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों और पेंशनरों को बड़ी राहत मिलेगी, एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि आपातकाल के दौरान इलाज के लिए एक निजी अस्पताल को चुनने के कारण किसी सरकारी कर्मचारी को मेडिक्लेम के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने शनिवार को अपने फैसले में कहा कि एक कर्मचारी या एक पेंशनभोगी को नेटवर्क अस्पताल से बाहर इलाज करवाने के कारण मेडिक्लेम देने से मना करना सही नहीं है।
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एक रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी केंद्र सरकार के कर्मचारी को सेवा के दौरान या सेवानिवृत्ति के बाद रिम्बर्समेंट से केवल इसलिए इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योकि उसने CGHS लिस्ट में शामिल अस्पताल से इलाज नहीं करवाया है। जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कहा, “राइट टू मेडिकल क्लेम को केवल इसलिए अस्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि अस्पताल का नाम सरकारी आदेश में शामिल नहीं है।”
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हालांकि कोर्ट ने कहा कि सरकार को यह सत्यापित करना चाहिए कि कर्मचारी या पेंशनर द्वारा किया जा रहा दावा प्रमाणित डॉक्टर या अस्पताल के रिकॉर्ड में है या नहीं, सरकार यह भी सत्यापित कर सकती है कि संबंधित कर्मचारी या पेंशनर ने वास्तव में इलाज करवाया है या नहीं, इन तथ्यों के आधार पर एक कर्मचारी या पेंशनभोगी को मेडिक्लेम देने से इनकार किया जा सकता है।
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शीर्ष कोर्ट का यह आदेश एक रिटायर्ड केंद्र सरकार के अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर आया है, दरअसल रिटायर्ड अधिकारी ने दो निजी अस्पतालों से इलाज करवाया था और मेडिकल बिलों के रिम्बर्समेंट की मांग की थी।