कृषि कर्ज चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक 20 लाख करोड़ रुपये के पार |

कृषि कर्ज चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक 20 लाख करोड़ रुपये के पार

कृषि कर्ज चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक 20 लाख करोड़ रुपये के पार

:   Modified Date:  February 22, 2024 / 03:18 PM IST, Published Date : February 22, 2024/3:18 pm IST

नयी दिल्ली, 22 फरवरी (भाषा) नरेन्द्र मोदी सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र में बैंक कर्ज में तेजी से वृद्धि हुई है। बैंकों ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-जनवरी अवधि के दौरान कर्ज के रूप में 20.39 लाख करोड़ रुपये का वितरण किया है, जबकि पूरे 2013-14 में किसानों को 7.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कृषि ऋण लक्ष्य 20 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया था। बैंक पहले ही लक्ष्य पार कर चुके हैं और इस वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 22 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है।

कृषि मंत्रालय ने किसानों को सालाना सात प्रतिशत के कम ब्याज पर कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए तीन लाख रुपये तक के अल्पकालिक फसल कर्ज को लेकर ब्याज छूट योजना लागू की हुई है।

योजना के तहत बैंकों को उनके संसाधनों के उपयोग पर प्रतिवर्ष दो प्रतिशत की ब्याज छूट दी जाती है। इसके अलावा, ऋण का समय पर भुगतान करने पर किसानों को तीन प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाता है, जिससे ब्याज दर कम होकर चार प्रतिशत हो जाती है।

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण 2023-24 (31 जनवरी, 2024 तक) में 20.39 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है जो 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये था। यह कर्ज 1,268.51 लाख खातों को दिया गया।’’

वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, कुल कृषि ऋण वितरण 21.55 लाख करोड़ रुपये रहा। यह तय लक्ष्य 18.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

इसके अलावा, केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) के माध्यम से चार प्रतिशत सालाना ब्याज पर रियायती संस्थागत कर्ज का लाभ पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों को दिया गया है। यह कर्ज उनकी अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए दिया गया है।

पिछले साल 31 मार्च तक 73,470,282 सक्रिय किसान क्रेडिट कार्ड खाते थे, जिनपर 8,85,463 करोड़ रुपये का बकाया था।

इसके अलावा, सरकार ने 2019 में पीएम-किसान योजना शुरू की। इसके तहत पात्र किसानों को सालाना 6,000 रुपये की राशि तीन समान किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में दी जाती है।

यह योजना फरवरी 2019 में शुरू की गई थी, लेकिन किसानों को योजना का लाभ दिसंबर, 2018 से दिया गया।

अधिकारी ने कहा, ‘‘2018 से अबतक 11 करोड़ से अधिक लाभार्थी किसानों को विभिन्न किस्तों के माध्यम से 2.81 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिये दिये गये हैं।”

उन्होंने कहा कि इसके अलावा केंद्र ने किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पिछले 10 साल में फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया है और गेहूं, धान, तिलहन तथा दाल की खरीद भी बढ़ाई है।

मंत्रिमंडल के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 साल के दौरान किसानों से एमएसपी पर धान, गेहूं, दलहन और तिलहन की खरीद पर 18.39 लाख करोड़ रुपये खर्च किये हैं।

ठाकुर ने कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के अपने 10 साल के कार्यकाल (2004-2014) में खर्च किए गए 5.5 लाख करोड़ रुपये की तुलना में तीन गुना से अधिक है।

भाषा

रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)