सरकारी कंपनियों के अधिग्रहण के लिए 10 अरब डॉलर का कोष बनाएंगे, इस मशहूर कंपनी के चेयरमैन ने कही ये बात |

सरकारी कंपनियों के अधिग्रहण के लिए 10 अरब डॉलर का कोष बनाएंगे, इस मशहूर कंपनी के चेयरमैन ने कही ये बात

सरकारी कंपनियों के अधिग्रहण के लिए अनिल अग्रवाल बनाएंगे 10 अरब डॉलर का कोष

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:39 PM IST, Published Date : January 23, 2022/3:09 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) वेदांता रिसोर्सेज सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के अधिग्रहण के लिए 10 अरब डॉलर का कोष बना रही है। कंपनी के इस कोष में सॉवरेन संपदा कोषों ने काफी रुचि दिखाई है। कंपनी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा है कि सरकार जब भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) या शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) के लिए मूल्य बोली मांगेगी उस समय यह कोष शुरू किया जाएगा।

धातु और खनन क्षेत्र के दिग्गज कारोबारी अनिल अग्रवाल ने बीपीसीएल और एससीआई में सरकार की 12 अरब डॉलर से अधिक मूल्य की हिस्सेदारी के अधिग्रहण में रुचि दिखाई है। अग्रवाल ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हम 10 अरब डॉलर का कोष बना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह कोष वेदांता के खुद के संसाधनों और बाहरी निवेश से बनाया जाएगा। ‘‘इस कोष को लेकर हमें विशेषरूप से सॉवरेन संपदा कोषों से जबर्दस्त प्रतिक्रिया मिली है।’’

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अग्रवाल ने कहा कि इसके पीछे विचार 10 साल की अवधि वाला कोष बनाने का है। इसमें निजी इक्विटी प्रकार की रणनीति का इस्तेमाल किया जाएगा। यह कोष कंपनियों में निवेश करेगा और उनका मुनाफा बढ़ाएगा। उसके बाद कंपनी से निकल जाएगा।

अग्रवाल ने इससे पहले कहा था कि वेदांता लंदन की कंपनी सेंट्रिकस के साथ मिलकर 10 अरब डॉलर का कोष बनाएगी जो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में हिस्सेदारी खरीदने के लिए निवेश करेगा। सेंट्रिकस करीब 28 अरब डॉलर की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करती है। अग्रवाल ने कहा, ‘‘वे सभी चाहते हैं, चेयरमैन मैं रहूं।’’ वेदांता ने बीपीसीएल के लिए जांच-परख का काम पूरा कर लिया है। वहीं सरकार ने इसी महीने एससीआई के लिए मूल्य बोली को टाल दिया है। सरकार ने अभी यह नहीं बताया है कि वह बीपीसीएल और एससीआई के लिए मूल्य बोलियां कब तक मांगेगी।

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अग्रवाल ने कहा, ‘‘सरकार जैसे ही विनिवेश कार्यक्रम शुरू करेगी, हम यह कोष लाएंगे। कोई भी पैसा डालना या शुल्क और अन्य लागत नहीं चाहता। सभी कुछ तैयार है और जैसे ही सरकार की बोलियां शुरू होंगी, हम इसपर आगे बढ़ेंगे। पैसा कोई समस्या नहीं है।’’

अग्रवाल को एक छोटे से धातु कबाड़ कारोबार को लंदन मुख्यालय वाली वेदांता रिसोर्सेज में बदलने का श्रेय जाता है। उन्होंने कई बार सरकारी कंपनियों में निवेश किया है और मुनाफा कमाया है। अग्रवाल ने 2001 में भारत एल्युमीनियम कंपनी (बाल्को) का अधिग्रहण किया था। उसके बाद 2002-03 में घाटे में चल रही हिंदुस्तान जिंक का अधिग्रहण किया था। वेदांता ने 2007 में मित्सुई एंड कंपनी से सेसा गोवा में 51 प्रतिशत नियंत्रक हिस्सेदारी खरीदी थी। 2018 में वेदांता ने टाटा स्टील जैसी कंपनियों को पीछे छोड़ते हुए इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स लि.(ईएसएल) का अधिग्रहण करने में सफलता हासिल की थी।

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