जीएसटी वसूली के लिए केंद्र जबरदस्ती, धमकी का तरीका न अपनाएः उच्चतम न्यायालय |

जीएसटी वसूली के लिए केंद्र जबरदस्ती, धमकी का तरीका न अपनाएः उच्चतम न्यायालय

जीएसटी वसूली के लिए केंद्र जबरदस्ती, धमकी का तरीका न अपनाएः उच्चतम न्यायालय

:   Modified Date:  May 8, 2024 / 08:50 PM IST, Published Date : May 8, 2024/8:50 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, आठ मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की वसूली के लिए कारोबारियों के खिलाफ तलाशी और जब्ती अभियानों के दौरान ‘धमकी और जोर-जबरदस्ती’ का इस्तेमाल न करने का केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए बुधवार को कहा कि उन्हें स्वेच्छा से बकाया चुकाने के लिए मनाया जाए।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि जीएसटी कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो अधिकारियों को बकाया राशि के भुगतान के लिए बल के इस्तेमाल का अधिकार देता हो।

शीर्ष अदालत की यह पीठ जीएसटी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों का परीक्षण कर रही है।

पीठ ने कहा, ‘‘तलाशी और जब्ती के दौरान किसी भी व्यक्ति को कर देनदारी का भुगतान करने के लिए बाध्य करने की इस अधिनियम के तहत कोई शक्ति नहीं है। अपने विभाग से कहें कि भुगतान स्वेच्छा से किया जाना चाहिए और किसी भी बल का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। आपको कथित अपराधी को सोचने-समझने, सलाह लेने और देनदारी पूरी करने के लिए तीन-चार दिन का समय देना होगा। यह स्वैच्छिक होना चाहिए और किसी भी तरह की धमकी या जबरिया कार्रवाई का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।’’

केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने जीएसटी वसूली के दौरान अतीत में बल प्रयोग होने की आशंका को खारिज न करते हुए कहा कि तलाशी और जब्ती के दौरान ज्यादातर भुगतान स्वैच्छिक ही हुए हैं।

उन्होंने जीएसटी अधिनियम पर चली लंबी सुनवाई में कहा, ‘‘वसूली के दोनों तरीकों की संभावना है लेकिन ज्यादातर भुगतान स्वेच्छा से या वकील से परामर्श कर कुछ दिनों के बाद किए जाते हैं। हां, अतीत में कुछ उदाहरण हो सकते हैं लेकिन यह मानक नहीं है।’’

इस पर पीठ ने कहा कि कई याचिकाकर्ताओं ने अधिकारियों पर तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान धमकी और जबरदस्ती करने के आरोप लगाए हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि किसी व्यक्ति की तलाशी और जब्ती के दौरान क्या होता है। यदि कर भुगतान से इनकार किया जाता है तो आप संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क कर सकते हैं लेकिन आपको परामर्श करने, सोचने और विचार करने के लिए कुछ समय देना होगा। आप उसे धमकी और गिरफ्तारी के दबाव में नहीं रख सकते हैं।’’

जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कई बार कथित अपराधी करों से बचने के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं तो पीठ ने कहा, ‘‘उन्हें गिरफ्तार करें लेकिन यह सख्ती से कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया के तहत होना चाहिए। जीएसटी अधिनियम की धारा 69 के तहत गिरफ्तारी का प्रावधान है।’’

एक याचिकाकर्ता के वकील सुजीत घोष ने कहा कि कानून के तहत प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों को लागू नहीं किया गया है और इसके बजाय लोगों को भुगतान करने के लिए गिरफ्तारी की धमकी दी जाती है।

जीएसटी अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम और धनशोधन निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली 281 याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ ने राजू से कहा कि जीएसटी कानून में नियंत्रण एवं संतुलन का प्रावधान है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सुरक्षा उपाय किए गए हैं। धारा 69 (गिरफ्तार करने की शक्ति) और धारा 70 (समन करने की शक्ति) का कड़ाई से अनुपालन होना चाहिए। जब विधायिका ने सुरक्षा उपाय किए हैं तो उन्हें कड़ाई से लागू करने की जरूरत है।’’

इस मामले में सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है और यह बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी।

शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते केंद्र से जीएसटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत नोटिस जारी करने और गिरफ्तारियों के बारे में ब्योरा देने के लिए कहा था। उसने कहा था कि वह इस कानून की व्याख्या कर सकती है और नागरिकों को उत्पीड़न से बचाने के लिए उचित दिशानिर्देश दे सकती है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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