नयी दिल्ली, 17 मई (भाषा) विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) व्यापार वित्त में बेहतर वैश्विक गतिविधियों का मूल्यांकन कर रहा है। साथ ही देश की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने को लेकर व्यापक समाधान प्रस्तावित करने के लिए नियामक सुधारों की पहचान भी कर रहा है।
संयुक्त डीजीएफटी तिरुमाला वेंकटेश ने शुक्रवार को कहा कि 2.5 लाख से अधिक बैंक प्राप्ति प्रमाणपत्र (बीआरसी) संशोधित ईबीआरसी प्रणाली के तहत स्व-निर्मित किए गए हैं, जिसे पिछले नवंबर में शुरू किया गया। इससे व्यापार में सुगमता आई।
वेंकटेश ने कहा, ‘‘हम डीजीएफटी में एक व्यापार वित्त अध्ययन आयोजित कर रहे हैं। इसका मकसद वैश्विक सर्वोत्तम गतिविधियों तथा मानकों की पहचान करना है। साथ ही नवीनतम रुझानों व प्रौद्योगिकियों के साथ भविष्य के रुख की पहचान करना, व्यापार वित्त के क्षेत्र में देश की भविष्य की जरूरतों के हिसाब से संबंधित संस्थागत नीति तथा नियामक सुधारों की पहचान करना और कार्यान्वयन के लिए एक रूपरेखा के साथ समाधान प्रस्तावित करना है। ’’
व्यापार वित्त पर एसोचैम शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार संजीत सिंह ने कहा, ‘‘बैंक व्यापार को समर्थन देने के लिए सक्रिय रूप से आगे बढ़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ नीति आयोग 2047 और उससे बाद भारत के लक्ष्य पर काम कर रहा है। 2022 में निर्यात तैयारी सूचकांक पर एक रिपोर्ट से पता चलता है कि शीर्ष 10 राज्यों का हमारे निर्यात में 85 प्रतिशत हिस्सा है। वहीं भारत के शीर्ष 10 जिंस समूहों का हमारे निर्यात में 80 प्रतिशत हिस्सा है।’’
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व अध्यक्ष रजनीश कुमार ने कहा, ‘‘ 1991 में भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार करीब 60 अरब का था, जिसमें सेवाएं और वस्तु व्यापार शामिल हैं.. आज हम 1500 अरब डॉलर से अधिक पर हैं। यह एक उल्लेखनीय प्रगति है और चीन के साथ अंतर कम हो रहा है। हमें विश्वास है कि अगले 15-20 वर्षों में हम इस अंतर को पाट देंगे और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अपनी जगह बना लेंगे।’’
भाषा निहारिका रमण
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