डीएस समूह का पांच साल में ‘कन्फेक्शनरी’ कारोबार से 5,000 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य |

डीएस समूह का पांच साल में ‘कन्फेक्शनरी’ कारोबार से 5,000 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य

डीएस समूह का पांच साल में ‘कन्फेक्शनरी’ कारोबार से 5,000 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य

:   Modified Date:  May 22, 2024 / 02:27 PM IST, Published Date : May 22, 2024/2:27 pm IST

नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) घरेलू रोजमर्रा के उपभोग का सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनी धर्मपाल सत्यपाल ग्रुप अपने ‘कन्फेक्शनरी’ कारोबार से अगले पांच साल में 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करने की उम्मीद कर रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी का ‘कन्फेक्शनरी’ कारोबार 1,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार चुका है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

समूह के पास ‘कन्फेक्शनरी’ श्रेणी में पल्स, पास पास, रजनीगंधा पर्ल्स, चिंगल्स, पल्स नाटकरे और लवइट जैसे लोकप्रिय ब्रांड हैं। वह अगले पांच वर्षों में भारत में बिक्री आउटलेट को मौजूदा के 26 लाख से बढ़ाकर करीब 50 लाख करने की योजना बना रहा है।

धर्मपाल सत्यपाल (डीसी) समूह के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ पिछले तीन वर्षों में हमारे ‘कन्फेक्शनरी’ खंड में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि उद्योग में नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हमने 2023-24 में 1,000 करोड़ रुपये के बिक्री कारोबार का आंकड़ा पार कर लिया है। हम अगले पांच वर्षों में 5,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रख रहे हैं।’’

उन्होंने बताया कि समूह की योजना अगले पांच साल में कन्फेशनरी कारोबार में सालाना 30 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने की है।

निवेश के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विनिर्माण के लिए बहुत कुछ नहीं होगा…हालांकि आवश्यकता के आधार पर विज्ञापन और प्रचार पर खर्च बढ़ाया जाएगा।

समूह ने वित्त वर्ष 2023-24 में ‘कन्फेक्शनरी’ श्रेणी के विज्ञापन पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

कुमार ने कहा, ‘‘ हम दक्षिण भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाएंगे। अगले वर्ष में हम अपने आउटलेट को मौजूदा 26 लाख से दोगुना कर कम से कम 50 लाख तक पहुंचाएंगे। दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों तथा ग्रामीण बाजार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।’’

वर्तमान में कंपनी की उत्तर और पूर्वी भारत में मजबूत स्थिति में है। उन्होंने कहा, ‘‘ हम दक्षिण और पश्चिम भारत में उपस्थिति बढ़ा रहे हैं।’’

भाषा निहारिका अजय

अजय

 

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