Edible oil becomes cheaper

आम जनता को महंगाई से मिली राहत, खाने के तेल की कीमतों में आई गिरावट, यहां देखें ताजा भाव

fall in edible oil prices : देश में सस्ते आयातित तेलों की भरमार के बीच तेल तिलहन बाजार में अधिकांश खाद्य तेल तिलहनों के थोक भाव में गिरावट आई

Edited By :   Modified Date:  August 13, 2023 / 03:34 PM IST, Published Date : August 13, 2023/3:34 pm IST

नई दिल्ली : fall in edible oil prices : देश में सस्ते आयातित तेलों की भरमार के बीच बीते सप्ताह तेल तिलहन बाजार में अधिकांश खाद्य तेल तिलहनों के थोक भाव में गिरावट आई, जबकि माल की कमी और मांग बढ़ने के कारण मूंगफली तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया। कारोबारियों ने बताया कि देश में मूंगफली और बिनौला के अच्छे तिलहन की कमी है और अभी तक सूरजमुखी के अत्यधिक आयात से इन दो तेलों की कमी पूरी हो रही थी, लेकिन लागत के मुकाबले कम भाव में बिकवाली के नुकसान के कारण आयात कम होने की आशंका है। ऐसे में त्योहारी दिनों की मांग को लेकर अभी से सचेत रहना होगा।

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तेल के दाम

बाजार सूत्रों ने कहा कि देश में विशेषकर सूरजमुखी तेल का मांग के मुकाबले कहीं ज्यादा आयात हो रखा है और इस तेल का थोक भाव बाकी तेलों से काफी सस्ता भी है। इसके कारण कोई तेल तिलहन उठ नहीं पा रहे। यह बिनौला और मूंगफली तेल की कमी को फिलहाल पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच काला सागर मार्ग से परिवहन करने संबंधी समझौते की अवधि समाप्त होने के बाद तेल संघों को नरम तेल के आयात की स्थिति के बारे में सरकार को जानकारी देनी चाहिए।

ना होने पाये खाद्य तेलों की कमी

fall in edible oil prices : उन्होंने कहा कि सरकार को अर्जेन्टीना सहित अन्य देशों से जुलाई और अगस्त के दौरान कितने खाद्य तेल की लदान हुई है, इस बात की जानकारी रखनी होगी ताकि त्योहारों के मौके पर नरम खाद्यतेलों की कमी ना होने पाये। सूत्रों ने कहा कि एक परिस्थिति तो यह है कि सोयाबीन और सूरजमुखी के आयात की जो लागत बैठती थी, उसके मुकाबले वही तेल यहां देश के बंदरगाहों पर सस्ते में बेचा जा रहा था, ताकि बैंकों के ऋण साख-पत्र (एलसी या लेटर आफ क्रेडिट) को चलाते रहा जा सके। लेकिन, इस कम भाव में बिकवाली से जो नुकसान हो रहा था, उससे काफी कम नुकसान कच्चा पामतेल और पामोलीन के आयात में हो रहा था।

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बंदरगाहों पर रखी बड़ी मात्रा में खेप

इस परिस्थिति के कारण आयातक अपने ‘एलसी’ को चलाते रहने के लिए कम नुकसान होने वाले पाम एवं पामोलीन तेल के आयात की ओर मुड़ गए और बंदरगाहों पर इनकी बड़ी मात्रा में खेप खड़ी हैं और इसे खाली नहीं किया जा सका है। सूत्रों ने कहा कि जून में खाद्यतेलों का भारी आयात हुआ था जो जुलाई में यहां पहुंचा था। इस आयात में पाम एवं पामोलीन का कहीं अधिक आयात हुआ था और जून के मुकाबले सोयाबीन तेल का आयात लगभग 22 प्रतिशत कम हुआ था। अर्जेन्टीना और ब्राजील से देश के बंदरगाह पर इन खाद्यतेलों के आने और बाद में जहाज को खाली करने में 35-45 दिन का समय लगता है।

खेती

fall in edible oil prices : सूत्रों ने कहा कि खरीफ बुवाई के दौरान विशेषकर तिल, कपास, मूंगफली, बिनौला और सूरजमुखी के खेती के रकबे में आई कमी कोई अच्छा संकेत नहीं है जबकि आबादी बढ़ने के साथ हर साल खाद्यतेलों की मांग लगभग 10 प्रतिशत सालाना बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि विश्व में खाद्यतेल के सबसे बड़े आयातक देश, भारत का तेल उद्योग और तिलहन किसान बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं और इसे संभालना कठिन काम हो जायेगा। सरकार अगर खाद्यतेल सस्ता ही बिकवाना चाहती है तो उसे केवल थोक बिक्री दाम की गिरावट के बजाय जमीनी हकीकत पर भी नजर रखनी होगी कि थोक बिक्री दाम में आई गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को मिल भी रहा है या नहीं।

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ऊंचे दाम में खरीदना पड़ रहा तेल

बड़ी कंपनियों और पैकरों के अधिक एमआरपी होने के कारण उपभोक्ताओं को तेल ऊंचे दाम में खरीदना पड़ रहा है। पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 200 रुपए टूटकर 5,600-5,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 620 रुपये टूटकर 10,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 75 रुपये और 95 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 1,745-1,840 रुपये और 1,745-1,855 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

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ये है भाव

fall in edible oil prices : समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव 40-40 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 5,050-5,145 रुपए प्रति क्विंटल और 4,815-4,910 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 330 रुपए, 230 रुपए और 350 रुपए टूटकर क्रमश: 10,220 रुपए, 10,020 रुपए और 8,450 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

दूसरी ओर, माल की कमी होने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 90 रुपए, 100 रुपए और 10 रुपए मजबूत होकर क्रमश: 7,865-7,915 रुपए, 18,850 रुपए और 2,735-3,020 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। अत्यधिक आयात के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 225 रुपए की गिरावट के साथ 8,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

fall in edible oil prices : पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपए घटकर 9,250 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला का भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में 300 रुपये घटकर 8,300 रुपए प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। गिरावट के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल समीक्षाधीन सप्ताह में 475 रुपए टूटकर 9,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

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