जल्दबाजी में उठाया गया कदम महंगाई को काबू में लाने के प्रयास को कर सकता प्रभावित: दास |

जल्दबाजी में उठाया गया कदम महंगाई को काबू में लाने के प्रयास को कर सकता प्रभावित: दास

जल्दबाजी में उठाया गया कदम महंगाई को काबू में लाने के प्रयास को कर सकता प्रभावित: दास

:   Modified Date:  February 22, 2024 / 06:54 PM IST, Published Date : February 22, 2024/6:54 pm IST

मुंबई, 22 फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि मुद्रास्फीति को काबू में लाने का काम अभी खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि नीतिगत मोर्चे पर जल्दबाजी में उठाया गया कोई भी कदम कीमत के मोर्चे पर अबतक जो सफलता हासिल की गयी है, उसपर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

केंद्रीय बैंक ने बृहस्पतिवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्योरा जारी किया। इसके अनुसार, दास ने कहा था, ‘‘इस समय मौद्रिक नीति का रुख सतर्क होना चाहिए और यह नहीं मानना ​​चाहिए कि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर हमारा काम खत्म हो गया है।’’

द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा को लेकर एमपीसी की बैठक इस महीने छह से आठ तारीख को हुई थी।

उन्होंने कहा कि एमपीसी को मुद्रास्फीति को नीचे लाने के ‘अंतिम छोर’ को सफलतापूर्वक पार करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।

दास ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मतदान करते समय यह टिप्पणी की।

ब्योरे के अनुसार, गवर्नर ने कहा कि बाजार नीतिगत दर में कटौती की उम्मीद को लेकर आगे है, लेकिन इस समय जल्दबाजी में उठाया गया कोई भी कदम अबतक हासिल की गई सफलता को कमजोर कर सकता है।

उन्होंने कहा कि लंबे समय तक उच्च वृद्धि को बनाये रखने के लिए मूल्य और वित्तीय स्थिरता जरूरी है। मौद्रिक नीति का उद्देश्य वृद्धि के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालीन आधार पर मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य को प्राप्त करने पर बने रहना है।

एमपीसी के छह सदस्यों में से पांच ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बनाये रखने के लिए मतदान किया था।

समिति में बाह्य सदस्य जयंत आर वर्मा ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत तक कम करने और रुख को तटस्थ में बदलने के पक्ष में दलील दी थी।

उन्होंने कहा कि राजकोषीय मजबूती की प्रक्रिया 2024-25 में जारी रहने का अनुमान है, इससे मुद्रास्फीति बढ़ने के जोखिम के बिना मौद्रिक नीति के स्तर पर नरमी की गुंजाइश बनती है।

वर्मा ने कहा, ‘‘मेरे विचार में, एमपीसी के लिए एक स्पष्ट संकेत देने का समय आ गया है कि वह मुद्रास्फीति को काबू में लाने और वृद्धि को गति देने की अपनी दोहरी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेती है। और यह वास्तविक ब्याज दर को उस स्तर पर बनाये नहीं रखेगी जो कि इसके लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यकता से काफी अधिक है।’’

ब्योरे के अनुसार, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और एमपीसी सदस्य माइकल देबब्रत पात्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति को मुद्रास्फीति को नीचे लाने के लिए उसपर दबाव बनाये रखना चाहिए।

उन्होंने कहा था कि जब मुद्रास्फीति कम हो और लंबे समय तक लक्ष्य के करीब रहे, तभी नीतिगत स्तर पर नरम रुख को अपनाया जा सकता है।

भाषा रमण अजय

अजय

 

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