सूक्ष्मवित्त सेवाओं को समाज से अलग नहीं किया जा सकता: असम मंत्री

सूक्ष्मवित्त सेवाओं को समाज से अलग नहीं किया जा सकता: असम मंत्री

सूक्ष्मवित्त सेवाओं को समाज से अलग नहीं किया जा सकता: असम मंत्री
Modified Date: November 29, 2022 / 07:56 pm IST
Published Date: June 22, 2021 2:30 pm IST

गुवाहाटी, 22 जून (भाषा) असम सरकार महिला लेनदारों और साथ ही कर्जदाताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए छोटे कर्ज माफ करने के मुद्दे पर एक समग्र दृष्टिकोण अपना रही है। राज्य के सिंचाई मंत्री ने इस बाबत जानकारी देते हुए कहा कि सूक्ष्मवित्त संस्थानों (एमएफआई) की भूमिका की अनदेखी नहीं की जा सकती।

असम के सिंचाई मंत्री और सूक्ष्मरिण माफ करने के वित्तीय प्रभावों की समीक्षा के लिए गठित समिति के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने कहा कि लघुवित्त संस्थानों ने ग्रामीण लेनदारों को रिण देते समय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर नियमों का ‘उल्लंघन’ किया है। इस तरह की रिण सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए ग्रामीण स्वयंसहायता समूहों का गठन करते हैं।

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उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि रिण देने से जुड़े नियमों के उल्लंघन की मंजूरी नहीं दी जा सकती लेकिन साथ ही राज्य में एमएफआई के कामकाज को रोका नहीं जा सकता। ऐसा होने पर लोग ‘काबुलीवाले’ या ‘निजी रिणदाता सूदखोरों’ के पास जाने को मजबूर होंगे।

मंत्री ने कहा, ‘गलत तरीके जारी नहीं रह सकते। सरकार को हस्तक्षेप करना होगा। किसी एक कर्जदार को 1.25 लाख रुपये से अधिक का कर्ज नहीं देने जैसे रिजर्व बैंक के नियमों का पालन ना करने के लिए रिणदाताओं की जवाबदेही तय करनी होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘हम केवल एक के बजाए सभी पहलुओं पर ध्यान दे रहे हैं। लोग लेना चाहें तो उन्हें सूक्ष्मरिण उपलब्ध कराए जाने चाहिए। समस्या का हल करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।’

भाषा

प्रणव महाबीर

महाबीर


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