कोलंबो, पांच दिसंबर (भाषा) भारत की ओर से श्रीलंका को डेयरी उद्योग और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। इससे नकदी की कमी से जूझ रहे इस देश की आयातित दुग्ध उत्पादों पर निर्भरता को कम किया जा सके। श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय ने सोमवार को यह जानकारी दी।
श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय के मीडिया प्रकोष्ठ ने एक बयान में कहा कि अमूल ब्रांड के तहत दूध का विपणन करने वाले राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के अधिकारियों ने श्रीलंका में दूध के उत्पादन के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए कदम उठाए हैं।
इस मुद्दे पर सोमवार को राष्ट्रपति सचिवालय में प्रारंभिक चर्चा हुई।
बयान में कहा गया है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने एनडीडीबी की टीम के साथ काम करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से मिलाकर एक समिति नियुक्त की है ताकि आयातित दूध पाउडर पर निर्भरता को कम करने के मकसद से देश में स्थानीय दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए एक लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना तैयार की जा सके।
सोमवार की बैठक के दौरान, लघु और मध्यम अवधि की योजनाओं को लागू करके स्थानीय दुग्ध उत्पादन को दोगुना करने और एक लक्षित कार्यक्रम के माध्यम से दीर्घावधि में श्रीलंका को दूध में आत्मनिर्भर बनाने के बारे में चर्चा की गई।
इसमें कहा गया है कि कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. निमल समरनायके, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के चेयरमैन प्रोफेसर एच.डब्ल्यू. सिरिल और कृषि मंत्रालय के अधिकारी, भारतीय राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के वरिष्ठ महाप्रबंधक राजेश ओंकारनाथ गुप्ता, महाप्रबंधक सुनील शिवप्रसाद सिन्हा, वरिष्ठ प्रबंधक राजेश कुमार शर्मा और अन्य प्रतिनिधियों ने चर्चा में भाग लिया।
श्रीलंका सरकार के इस कदम का उद्देश्य ऐसे समय में लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना भी है जब देश में बच्चों में कुपोषण के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
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