कृषि में पानी के दक्ष इस्तेमाल के लिए एक व्यवस्था बनाने की जरूरत : रिपोर्ट |

कृषि में पानी के दक्ष इस्तेमाल के लिए एक व्यवस्था बनाने की जरूरत : रिपोर्ट

कृषि में पानी के दक्ष इस्तेमाल के लिए एक व्यवस्था बनाने की जरूरत : रिपोर्ट

:   Modified Date:  March 27, 2024 / 07:43 PM IST, Published Date : March 27, 2024/7:43 pm IST

नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) स्थानीय स्तर पर कृषि पारिस्थितिकी प्रणालियों के आधार पर जल-उपयोग दक्षता के लिए अच्छी प्रथाओं की सिफारिश करने के लिए एक माध्यम (टूल) विकसित करने की आवश्यकता है। डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन और सत्व नॉलेज इंस्टिट्यूट ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।

‘ट्रांसफॉर्मिंग क्रॉप कल्टिवेशन: एडवांसिंग वॉटर एफिशिएंसी इन इंडियन एग्रीकल्चर’ शीर्षक वाली रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई। डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन और सत्व नॉलेज इंस्टिट्यूट ने पानी की कमी की जटिलताओं और भारतीय कृषि में इसके उपयोग को समझने के लिए एक व्यापक अध्ययन किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाली और सबसे अधिक जल-कमी वाली कृषि अर्थव्यवस्था है। हमारी खाद्य सुरक्षा जल-गहन फसलों के उत्पादन की मांग करती है, जिससे हमारे जल संसाधनों पर दबाव पड़ता है।’’

सत्व नॉलेज इंस्टिट्यूट के प्रिंसिपल और कृषि अभ्यास क्षेत्र के प्रमुख, देबरंजन पुजाहारी ने बयान में कहा, ‘‘अगर हम भारत में आसन्न जल संकट को टालना चाहते हैं तो खेती में जल दक्षता बढ़ाना समय की मांग है।’’

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत, अपनी बढ़ती आबादी और सीमित मीठे पानी के संसाधनों के साथ, एक आसन्न जल संकट का सामना कर रहा है, जो कृषि में पानी पर भारी निर्भरता के कारण और बढ़ गया है।

इसमें कहा गया है, ‘‘दुनिया के केवल चार प्रतिशत मीठे पानी के स्रोत और 17 प्रतिशत वैश्विक आबादी के साथ, स्थिति तत्काल ध्यान देने और अभिनव समाधान की मांग करती है।’’

भारत में जल निकासी का 90 प्रतिशत हिस्सा कृषि क्षेत्र से आता है। रिपोर्ट के अनुसार, अकेले कृषि क्षेत्र में, सिंचाई में देश के 84 प्रतिशत कीमती जल भंडार का उपयोग होता है, इसके बाद घरेलू और औद्योगिक क्षेत्रों का स्थान है।

डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन के अध्यक्ष अमन पन्नू ने कहा, ‘‘हमारे निष्कर्ष सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए हमारे जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए सामूहिक कार्रवाई और नवाचार की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं। हमारा मानना है कि विज्ञान, डेटा और रणनीतिक सहयोग का लाभ उठाकर हम परिवर्तनकारी बदलाव ला सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।’’

इस मुद्दे को हल करने के लिए रिपोर्ट में ‘‘स्थानीय कृषि पारिस्थितिकी तंत्र (एलएई) के आधार पर जल उपयोग दक्षता प्रथाओं की सिफारिश करने के लिए एक उपकरण विकसित करने’’ का सुझाव दिया गया है।

इसमें कहा गया है कि सरकार, परमार्थ संगठन के साथ-साथ उद्योग द्वारा संचालित खेत में जल उपयोग दक्षता को सक्षम करने पर ध्यान केंद्रित करने वाली कई मौजूदा पहल ने प्रभाव दिखाया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘लंबी अवधि में, कृषि क्षेत्र से जल संकट को हल करने के लिए वित्तपोषण स्रोतों में विविधता लाने, सरकारी और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी को बढ़ावा देने और टिकाऊ वित्तपोषण तंत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता होगी।’’

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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