नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत 50 लाख टन (एमएमटी) स्थापित क्षमता के साथ भारत साल 2030 तक एक लाख करोड़ रुपये मूल्य के बराबर जीवाश्म ईंधन के आयात को कम कर सकता है। केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
जनवरी, 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत को ऊर्जा के इस स्वच्छ स्रोत के निर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने के उद्देश्य से 19,744 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी थी।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने राज्यसभा को बताया कि हरित हाइड्रोजन में प्राकृतिक गैस सहित जीवाश्म ईंधन को ऊर्जा के स्रोत के रूप में या फीडस्टॉक के रूप में प्रतिस्थापित करने की क्षमता है, जिससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता में कमी आएगी।
उन्होंने कहा कि मिशन में उर्वरक उत्पादन, पेट्रोलियम रिफाइनिंग, स्टील, शिपिंग आदि जैसे उद्योगों में हरित हाइड्रोजन के साथ ग्रे हाइड्रोजन के प्रतिस्थापन की परिकल्पना की गई है, जिससे कार्बन पहुंच और आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी।
सिंह ने कहा, ‘‘आयात में इस तरह की कमी की मात्रा वर्ष 2030 तक एक लाख (1,00,000) करोड़ रुपये होने का अनुमान है।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
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