नयी दिल्ली, सात सितंबर (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को विभिन्न मुद्राओं से संबद्ध (क्रास करेंसी) वायदा एवं विकल्प अनुबंधों में ग्राहक स्तर पर अनुबंधों की सीमा (पोजीशन लिमिट) में बदलाव किये।
अनुबंध सीमा यानी ‘पोजीशन लिमिट’ से तात्पर्य विकल्प या वायदा अनुबंधों की उच्चतम संख्या से है, जो एक निवेशक को संबंधित प्रतिभूति के संदर्भ में रखने की अनुमति है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि शेयर बाजारों और समाशेधन निगमों से मिली प्रतिक्रियाएं और उसकी समीक्षा के बाद ग्राहक स्तर पर अनुबंध सीमा में संशोधन का निर्णय किया गया है।
संबंधित दो मुद्राओं में सभी अनुबंधों में ग्राहक का सकल कारोबार नियामक द्वारा तय सीमा से अधिक नहीं होगी।
सेबी ने कहा कि सभी अनुबंधों के मामले में अमेरिकी डॉलर-भारतीय रुपया के संदर्भ में सकल कारोबार कुल वायदा एवं विकल्प अनुबंधों का 6 प्रतिशत या 2 करोड़ डॉलर, जो भी अधिक हो, उससे ज्यादा नहीं होगा। पूर्व में यह सीमा एक करोड़ डॉलर थी।
यूरो-भारतीय रुपया के मामले में सकल कारोबार कुल वायदा एवं विकल्प अनुबंधों का 6 प्रतिशत या एक करोड़ यूरो, जो भी अधिक हो, उससे ज्यादा नहीं होगा। पूर्व में यह सीमा 50 लाख यूरो थी।
इसी प्रकार, ग्रेट ब्रिटेन पौंड-रुपया, जापान की मुद्रा येन-रुपया के संदर्भ में भी अनुबंध सीमा में बदलाव किये गये हैं।
सेबी के अनुसार संशोधित अनुबंध सीमा प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) और श्रेणी-दो के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर भी लागू होंगे। दूसरी श्रेणी के एफपीआई में व्यक्ति, पारिवारिक कार्यालय और कंपनियां शामिल हैं।
अनुबंध सीमा श्रेणी- एक और व्यक्ति, पारिवारिक कार्यालय और कंपनियों को छोड़कर श्रेणी दो के एफपीआई के लिये पूर्व की तरह बने रहेंगे।
भाषा
रमण महाबीर
महाबीर
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