एसएंडपी ने भारत के साख परिदृश्य को ‘सकारात्मक’ किया, दो साल में रेटिंग में सुधार की उम्मीद |

एसएंडपी ने भारत के साख परिदृश्य को ‘सकारात्मक’ किया, दो साल में रेटिंग में सुधार की उम्मीद

एसएंडपी ने भारत के साख परिदृश्य को ‘सकारात्मक’ किया, दो साल में रेटिंग में सुधार की उम्मीद

:   Modified Date:  May 29, 2024 / 04:58 PM IST, Published Date : May 29, 2024/4:58 pm IST

नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत के साख (रेटिंग) परिदृश्य को ‘स्थिर’ से बढ़ाकर ‘सकारात्मक’ कर दिया है। मजबूत वृद्धि, पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक व्यय की बेहतर गुणवत्ता तथा सुधारों और राजकोषीय नीतियों में व्यापक निरंतरता की उम्मीद के बीच 14 साल के अंतराल के बाद भारत के रेटिंग परिदृश्य में यह बदलाव संभव हुआ है।

एसएंडपी ने हालांकि, भारत की सॉवरेन रेटिंग को निम्नतम निवेश ग्रेड ‘बीबीबी-’ पर बरकरार रखा है। ‘बीबीबी-’ सबसे निचली निवेश श्रेणी रेटिंग है। एजेंसी ने पिछली बार 2010 में रेटिंग परिदृश्य को ‘नकारात्मक’ से बढ़ाकर ‘स्थिर’ किया था।

अमेरिका की एजेंसी ने बुधवार को बयान में कहा कि यदि भारत सतर्क राजकोषीय और मौद्रिक नीति अपनाता है जिससे सरकार के बढ़े हुए कर्ज तथा ब्याज के बोझ में कमी आती है और आर्थिक मोर्चे पर जुझारूपन बढ़ता है तो वह अगले 24 महीने में भारत की साख को बढ़ा सकती है।

एसएंडपी की रेटिंग भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा सरकार को 2.10 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लाभांश हस्तांतरित करने के एक सप्ताह के भीतर आई है। इस राशि का इस्तेमाल केंद्र के राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किया जा सकता है।

एसएंडपी ने कहा, ‘‘मजबूत वृद्धि और सरकारी खर्च की बढ़ती गुणवत्ता के दम पर भारत का परिदृश्य संशोधित कर ‘सकारात्मक’ किया गया। साथ ही ‘बीबीबी-’ दीर्घकालिक और ‘ए-3’ अल्पकालिक विदेशी तथा स्थानीय मुद्रा सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग की पुष्टि की जाती है।’’

साख रेटिंग किसी देश के निवेश परिदृश्य के जोखिम स्तर को मापने का एक साधन है। साथ ही निवेशकों को देश की अपना ऋण चुकाने की क्षमता से अवगत कराती है।

निवेशक इन रेटिंग को देश की साख के मापदंड के तौर पर देखते हैं और इसका उधार लेने की लागत पर प्रभाव पड़ता है।

एसएंडपी ने कहा,‘‘ भारत के प्रति हमारा सकारात्मक परिदृश्य इसकी मजबूत आर्थिक वृद्धि, सरकारी व्यय की गुणवत्ता में स्पष्ट सुधार और राजकोषीय समावेशन के प्रति राजनीतिक प्रतिबद्धता पर आधारित है। हमारा मानना ​​है कि ये कारक मिलकर ऋण परिदृश्य को लाभ पहुंचा रहे हैं।’’

एसएंडपी ने कहा, ‘‘सकारात्मक परिदृश्य हमारे इस दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है कि निरंतर नीतिगत स्थिरता, गहन आर्थिक सुधार तथा उच्च बुनियादी ढांचा निवेश दीर्घकालिक वृद्धि संभावनाओं को बनाए रखेंगे।’’

एजेंसी का अनुमान है कि पिछले तीन वर्षों में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर औसतन 8.1 प्रतिशत सालाना रही है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक है।

एसएंडपी ने कहा कि यदि भारत का राजकोषीय घाटा सार्थक रूप से कम होता है और परिणामस्वरूप सामान्य सरकारी ऋण संरचनात्मक आधार पर सकल घरेलू उत्पाद के सात प्रतिशत से नीचे आ जाता है, तो वह रेटिंग बढ़ा सकती है।

एसएंडपी ने कहा कि पिछले चार से पांच वर्षों में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। सार्वजनिक निवेश तथा उपभोक्ता गति अगले तीन से चार साल में ठोस वृद्धि संभावनाओं को आधार प्रदान करेगी।

भारत की कमजोर राजकोषीय स्थिति हमेशा से ही इसकी सॉवरेन रेटिंग की पृष्ठभूमि का सबसे कमजोर हिस्सा रही है। सभी तीन प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों एसएंडपी, फिच और मूडीज ने भारत को सबसे निम्न निवेश ग्रेड रेटिंग दी है। वहीं फिच और मूडीज ने अपनी रेटिंग पर अब भी ‘स्थिर’ परिदृश्य कायम रखा है।

भाषा निहारिका अजय

अजय

 

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