नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) भारत दुनिया का सबसे अमीर देश नहीं है, लेकिन यहां कर संग्रह काफी अधिक है और ऐसे में आयकर की दर को मौजूदा करीब 40 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया जाना चाहिए। जानेमाने अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने यह बात कही।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया कि आर्थिक वृद्धि की गति को तेज करने के लिए कर की दर में कमी करना जरूरी है।
भल्ला ने कहा, ”हम दुनिया में बहुत अधिक वैश्वीकृत अर्थव्यवस्था हैं। यदि आप भारत में कर संरचना को देखते हैं, तो करों का संग्रह काफी अधिक है, जबकि हम दुनिया के सबसे धनी अर्थव्यवस्था नहीं हैं।”
उन्होंने कहा कि राज्य, केंद्र और स्थानीय निकायों का कर संग्रह भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 19 प्रतिशत है।
उन्होंने आगे कहा, ”हमें इसे दो प्रतिशत कम करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। जहां तक प्रत्यक्ष करों का संबंध है, मुझे लगता है कि कुल कर की दर 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। अभी यह अधिभार को मिलाकर 40 के करीब है। हमारी कॉरपोरेट कर की दर 25 प्रतिशत है, यही हमारी आयकर दर होनी चाहिए।”
इस समय भारत में आयकर की अधिकतम दर 39 प्रतिशत है। भल्ला ने कहा कि समाज के एक चुनिंदा वर्ग को लाभ पहुंचाने की जगह करों को सभी के लिए कम करने की जरूरत है।
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 20 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 19.68 लाख करोड़ रुपये हो गया।
भाषा पाण्डेय
पाण्डेय
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