बरुण सखाजी, राजनीतिक विश्लेषक
छत्तीसगढ़ के इतिहास का 15वां उपचुनाव और भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल का पांचवां उपचुनाव भानुप्रतापपुर रणनीतिक रूप से फंसता हुआ दिखाई दे रहा है। बेशक यह इलाका कांग्रेस प्रधान एरिया है, बावजूद यहां के समीकरणों के साथ भाजपा ने जो बिसात बिछाई है वह चतुर राजनीतिक दल ही बिछा जा सकता है। कांग्रेस इस आत्मविश्वास में रह सकती है कि वह इस इलाके में हारेगी नहीं, लेकिन घटे हुए मार्जिन की चिंता उसे करना पड़ेगी। यह चुनाव सिर्फ उपचुनाव नहीं बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों का एक सैंपल साइज भी है।
भानुप्रतापपुर जंगल के बीच आदिवासी आबादी से भरपूर पहाड़ी, जंगली, खनन वाला इलाका है। इसे तीन हिस्सों में बांटकर देखना चाहिए। इस लिहाज से देखें तो यहां के वोटिंग ट्रेंड को भी समझा जा सकता है। भानुप्रतापपुर एक विधानसभा के रूप में तीन विकासखंडों से मिलकर बना हुआ है। इनमें सबसे बड़ा ब्लॉक चरामा, दूसरा भानुप्रतापपुर और तीसरा दुर्गुकोंदल है। चारामा में जहां अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी का प्रभुत्व है तो भानुप्रतापपुर और दुर्गुकोंदल में आदिवासी आबादी का। भानुप्रतापपुर में कल कौन जीतेगा यह जानने के लिए इसे ऐसे समझते हैं।
चरामा का गहराई से विश्लेषण
चरामा में 104 बूथ हैं। इनमें लगभग 75 हजार मतदाता हैं। 60 फीसद ओबीसी यानि 45 हजार ओबीसी, 25 हजार आदिवासी व 5 हजार अन्य हैं। यहां भाजपा ने पूरी ताकत झौंकी। नतीजतन भाजपा इन पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। चरामा में 70 फीसद मतदान हुआ है। यानि कुल 75 हजार में से 55 हजार ने वोट डाले। इस लिहाज से 31 हजार ओबीसी ने वोट डाले हैं। भाजपा यहां मजबूत है, तो वह 65 से 70 बूथ पर मार्जिनल जीत सकती है। कुल 55 हजार मतों में से भाजपा को करीब 36 हजार वोट यहां से मिल सकते हैं। इनमें 31 हजार ओबीसी में से 24 हजार तक भाजपा में जाने का अनुमान है। जबकि कांग्रेस यहां पर 18 हजार तक हासिल कर सकती है, जिनमें 7 हजार ओबीसी और बाकी 10 हजार आदिवासी वोट शामिल हैं। कुल जमा यह कहना चाहिए कि चरामा में भाजपा कांग्रेस पर 18 हजार की बढ़त बनाकर आगे बढ़ती है।
चरामा तक की स्थिति
भाजपा- 36 हजार
कांग्रेस 18 हजार
अकबराम- 2 हजार
चरामा में भाजपा की जीत के 2023 में मायने
भानुप्रतापपुर का हार्ट बीट टेस्ट
यहां 92 बूथ हैं। इनमें लगभग 68 हजार मतदाता हैं। 70 फीसद आदिवासी मतदाता हैं। यानि लगभग 48 हजार आदिवासी वोटर्स हैं। शेष अन्य। यहां मतदान हुआ है 69 फीसद। मतलब 48 हजार लोगों ने वोट डाले। इनमें आदिवासी मतदाता हुए 34 हजार। यहां कांग्रेस मतबूत है। लेकिन इसकी मतबूती में अकबरराम कोर्राम ने सेंधमारी की है। अकबर राम ने यहां के गांव-गांव में आदिवासी भावनाएं भरी हैं। लेकिन कांग्रेस के समर्थक फिर भी पर्याप्त बने रहे। इस लिहाज से देखें तो जो 34 हजार आदिवासी मतदाता हैं, उनमें से 16 हजार तक अकबरराम के साथ और 15 हजार तक कांग्रेस बाकी भाजपा में जा सकते हैं। आदिवासी मतदाताओं के अलावा 14 हजार अन्य वोटर्स हैं। इनमें से भाजपा को 4 हजार, कांग्रेस को 7 हजार व 1 हजार अन्य को मिल सकते हैं। ऐसे देखें तो भानु में कांग्रेस 15 हजार, चरामा के 17 हजार मिलाकर वह 32 हजार पर पहुंच जाती है। जबकि भाजपा चरामा के 36 हजार और 7 हजार भानु के मिलाकर 43 हजार वोट तक पहुंच सकती है। जबकि अकबरराम यहां से अपना दखल शुरू करते हैं। वे चरामा और भानु में मिलाकर लगभग 18 हजार वोट तक पहुंचते हैं।
चरामा-भानु तक की स्थिति
भाजपा- 43 हजार
कांग्रेस 32 हजार
अकबराम- 18 हजार
भानु की जंग का 2023 पर असर
दुर्गुकोंदल की पूरी कहानी
दुर्गुकोंदल में 60 बूथ हैं। इनें 50 हजार तक मतदाता हैं। यहां वोटिंग हुई है लगभग 73 फीसद। यानि 37 हजार लोगों ने वोट डाले हैं। यहां 95 फीसद आदिवासी हैं। यानि 34 हजार से अधिक आदिवासियों ने वोट डाले हैं। यहां पर ओबीसी के लगभग 3 हजार मतों में से 15 सौ तक भाजपा को मिल सकते हैं। जबकि अकबरराम कोर्राम यहां अच्छा हासिल करेंगे। कांग्रेस 37 हजार में से लगभग 21 हजार वोट हासिल कर सकती है। 14 हजार अकबरराम कोर्राम के खाते में जा सकते हैं। ऐसे देखें तो चरामा, भानु में भाजपा को मिले 43 हजार वोटों में दुर्गुकोंदल के लगभग 3 हजार वोट जुड़कर 46 हजार वोट तक पहुंचती है। जबकि कांग्रेस चरामा, भानु में मिले 32 हजार वोट में 21 हजार और जोड़ दिए जाते हैं तो कांग्रेस लगभग 53 हजार वोट पर पहुंच रही है। जबकि अकबरराम कोर्राम चरामा, भानु में मिले अपने 20 हजार वोटों में दुर्गुकोंदल में मिले 14 हजार जोड़कर वे 34 हजार पर रह सकते हैं।
चरामा-भानु-दुर्गुकोंदल तक की स्थिति
भाजपा- 46 हजार
कांग्रेस 53 हजार
अकबराम- 34 हजार
अन्य- शेष वोट
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