बस्तर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज बस्तर से महत्वाकांक्षी चिराग परियोजना का शुभारंभ किया है। बस्तर के लोगों के जीवन में बदलाव लाने के इरादे से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिराग परियोजना का शुभारंभ किया है। सीएम का मनना है कि यह अब तक की सबसे बड़ी परियोजना होगी।
बता दें कि “चिराग परियोजना”, छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में विकास की नयी रौशनी फैलाएगी। यह लंबे समय तक चलने वाले परियोजना है। चिराग का फुलफार्म है – Chhattisgarh Inclusive Rural and Accelerated Agriculture Growth (CHIRAAG)।
इस योजना का उद्देश्य किसानों की आमदनी के अवसरों को बढ़ाना, गांवों में पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना, क्षेत्र की जलवायु पर आधारित पोषण-उत्पादन प्रणाली विकसित करना, प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के कार्यप्रणाली का विकास करना है। इस परियोजना के माध्यम से कृषि क्षेत्र में विकास के नये और विकसित तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जाएगा।
यह भी पढ़ें: सूखे की कगार पर मध्यप्रदेश, Dynamic Ground Water Report से हुआ चौकाने वाला खुलासा
“चिराग परियोजना” की बड़ी बातें..
• “चिराग परियोजना” आदिवासियों के लिए नये अवसर और नयी आशाएं लाने वाली परियोजना है। आधुनिक खेती और नवाचारों से जुड़कर वे नये जीवन में प्रवेश करेंगे।
• आदिवासी इलाकों के स्थानीय युवाओं को भी बहुत लाभ होगा। उन्हें मछली पालन, पशु-पालन, उद्यानिकी, विशेष प्रजातियों की फसलों के उत्पादन, क्षेत्रीय जलवायु आधारित पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन के कामों से जोड़ा जाएगा।
• युवाओं को सेल्स और मार्केटिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्हें अत्याधुनिक कृषि तकनीकों की शिक्षा दी जाएगी। उन्हें स्टार्टअप के लिए भी प्रशिक्षित और प्रोत्साहित किया जाएगा।
• इस परियोजना के लागू होने से आदिवासी समाज के युवा आत्मनिर्भर और स्वालंबी बनेंगे। ग्रामीण उद्यमी बन जाएंगे।
• इस परियोजना के लिए वर्ल्ड बैंक और संयुक्त राष्ट्र संघ की कृषि विकास हेतु स्थापित संस्था आईएफएडी, ने वित्तीय सहायता दी है।
• विश्व बैंक द्वारा 730 करोड़ रुपए, आईएफडी द्वारा द्वारा 486.69 करोड़ रुपए की सहायता इस परियोजना के लिए दी गई है।
• इस परियोजना की कुल राशि में 30% राशि, 518.68 करोड़ रुपये अपने राजकीय कोष से उपलब्ध कराए गए हैं।
• चिराग परियोजना को बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, सुकमा, मुंगेली, बलौदाबाजार, बलरामपुर, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर और सरगुजा जिलों के आदिवासी विकासखंडों में लागू किया जाएगा।
• इस नयी परियोजना से बस्तर संभाग और पूरे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों और वनाश्रितों में एक और नयी सुबह हो रही है।
यह भी पढ़ें: ई कॉमर्स साइट से जहर की गोलियां मंगाकर बेटे ने कर ली खुदकुशी, दुखी पिता ने कलेक्टर से लगाई साइट पर बैन लगाने की गुहार
गढ़चिरौली में हाथी के हमले में महिला की मौत, दो…
4 hours agoभाजपा सांसद रवि किशन की बेटी होने का दावा कर…
5 hours ago