बस्तर: संभाग का दंतेवाड़ा जिला नक्सल आतंक के लिए सुर्खियों में रहने वाले माई दंतेश्वरी की नगरी को गुजरते वक्त ने नई पहचान दी है। ‘दंतेवाड़ा डेनेक्स’ ये नाम है उस पहल का, जिसने जिले में संभावनाओं के नये द्वार खोले हैं। जिसने आदिवासी महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारी। कुल मिलाकर शासन-प्रशासन के इस एक प्रयोग ने बरसों से नक्सल हिंसा का दंश झेल रहे दंतेवाड़ा जिले की महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भर बनाया, तो बस्तर की नई तस्वीर दुनिया के सामने पेश किया।
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दक्षिण बस्तर का जिला दंतेवाड़ा दशकों से जिसकी पहचान नक्सल हिंसा को रही है, लेकिन बदलते वक्त के साथ माई दंतेश्वरी की इस नगरी में बदलाव नजर आ रहा है। विकास की दौड़ में दंतेवाड़ा आज अगगर दूसरे जिलों के साथ कदमताल कर रहा है। इसके पीछे छत्तीसगढ़ सरकार की संवेदनशील और सजग सोच है, जिसकी एक बानगी है डैनेक्स।
31 जनवरी 2021..यही वो तारीख है, जिसने बस्तर की महिलाओं को उड़ने के लिये नए पंख दिए। एक जरिया दिया, जिसके सहारे आज वो अपनी खुशियों को हासिल कर रही है। डैनेक्स..यानी दंतेवाड़ा नेक्सट..यही नाम है उस पहल का, जिसकी नींव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दंतेवाड़ा जिले में रखी। महज आठ महीने में डैनेक्स ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। शासन और प्रशासन की मदद से डैनेक्स में आज स्थानीय आदिवासी महिलाएं बड़े ब्रांड को टक्कर देने वाले आधुनिक कपड़े तैयार कर रही हैं। यहां 700 से ज्यादा महिलाएं कार्यरत है, जो बताती हैं कि डैनेक्स गारमेंट फैक्ट्री उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने गरीबी उन्मूलन एवं महिला सशक्तीकरण को ध्यान में रखते इस योजना की शुरूआत की। शुरूआती दौर में इस योजना से काफी कम संख्या में महिलाएं जुड़ी, लेकिन धीरे-धीरे जैसे सार्थक परिणाम सामने आए, तो आदिवासी महिलाओं का डैनेक्स के प्रति रूझान बढ़ा। आज डैनेक्स ने दंतेवाड़ा जिले को गारमेंट हब की पहचान दिया है। गीदम और बारसूर में डैनेक्स गारमेंट फैक्ट्री स्थापित की जा चुकी है। बैलाडीला इलाके में इसकी यूनिट खोलने की तैयारी हो चुकी है। इसके अलावा जिले के सबसे पिछडे कटेकल्याण की आदिवासी महिलाओं को लाभ दिलाने जिला प्रशासन कार्ययोजना तैयार कर रहा है। जिला प्रशासन का चारों डैनेक्स में 1200 परिवारों को रोजगार देने का लक्ष्य है।
महज आठ महीने में डैनेक्स ब्रांड ने वो मुकाम हासिल किया है, जो बड़ी-बड़ी कंपनियां भी इतने कम समय में हासिल नहीं कर पाती है। वैसे दंतेवाड़ा जैसे सुदूर इलाके में इसकी नींव गरीबी उन्मूलन के तहत यहां की आदिवासी महिलाओं को आजीविका से जोड़ने के उदेश्य से किया गया। शुरूआती दौर में इससे जुड़ने में महिलाएं झिझकी, लेकिन जैसे-जैसे इसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। महिलाओं का डैनेक्स के प्रति रूझान बढने लगा है। दंतेवाड़ा जिला प्रशासन ने जिले में गरीब उन्मूलन के लिए बकायदा पहले इसके लिये कार्ययोजना तैयार की है और आलाकमान के स्वीकृति की मुहर लगने के बाद सर्वे के साथ योजना की शुरुआत की गई। डैनेक्स में जिले के चारों विकासखंड की महिलाओं और पुरुषों को ट्रैनिंग देकर आजीविका से जोड़ा गया, जिससे न केवल इनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। बल्कि यहां काम करने वाले परिवारों के बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित नजर आ रहा है। दंतेवाड़ा जिला प्रशासन का एक ही लक्ष्य ह कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओँ को डैनेक्स के जरिये रोजगार मिले।
भूपेश सरकार ने 2018 में छत्तीसगढ़ की सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व मे सरकार ने सबसे ज्यादा अगर किसी पर फोकस किया। तो गांव, गरीब और किसान पर राज्य सरकार ने हर वर्ग के विकास के लिये योजनाएं बनाई। मुख्यमंत्री की दूरदर्शी नीतियों का नतीजा है कि आज दंतेवाड़ा जैसे जिले में डैनेक्स स्थापित हुआ और सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला। डैनेक्स की नींव रखने के पीछे राज्य सरकार की सोच यही है कि स्थानीय लोगों को यहीं रोजगार मिले। इसके लिए जिला प्रशासन लोगों के प्रशिक्षित कर उनका कौशल उन्नयन करने पर जो दे रहा है। डैनेक्स के नाम से कपड़े की फैक्ट्री हारम और बारसूर में स्थापित की जा चुकी है। जबकि कटेकल्याण और बचेली में फैक्ट्री जल्द शुरू होने वाली है। गीदम के साथ ही अन्य जगहों पर गारमेंट फैक्ट्री खुल जाने से बडी संख्या में महिलाएं रोजगार से जुड़ेंगी। इसका अप्रत्यक्ष असर नक्सलवाद पर भी पडेगा।
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