National Tribal Dance Festival 2021 Live Update Hindi

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में लद्दाख के जबरो, असम के बीहू, सिक्किम के तमांग सेला सहित इन राज्यों के कलाकारों ने बांधी समां

लद्दाख के जबरो, असम के बीहू, सिक्किम के तमांग सेला सहित इन राज्यों के कलाकारों ने बांधी समां1 National Tribal Dance Festival 2021

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : October 29, 2021/7:44 pm IST

रायपुर: National Tribal Dance Festival 2021 राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2021 के दूसरे दिन राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में पारंपरिक वेशभूषा, वाद्य यंत्रों के साथ विभिन्न देशों सहित केन्द्र शासित प्रदेश और राज्यों से आए लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों में उमंग और जोश भर दिया। पारंपरिक त्यौहार एवं अनुष्ठान, फसल कटाई-कृषि एवं अन्य पारंपरिक विधाओं पर आधारित नृत्य प्रतियोगिता के अंतर्गत लद्दाख के जबरो, असम के बीहू और बार दोई शीतला, महाराष्ट्र के गारली सुसून, सिक्कीम के तमांग सेला, त्रिपुरा के होजागिरी, अरूणाचल प्रदेश के जूजू-जाजा, मिजोरम के चेराव लाम और मध्यप्रदेश के भगोरिया लोक नृत्यों की अद्भुत नृत्य शैली का प्रदर्शन कलाकारों ने किया।

Read More: PUBG खेलते-खेलते हुआ प्यार, 1250 किमी दूर प्रेमी से मिलने पहुंची नाबालिग छात्रा

National Tribal Dance Festival 2021 केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख के कलाकारों ने तिब्बती नववर्ष पर किए जाने वाले जबरो नृत्य की प्रस्तुति दी। नृत्य में जोश एवं भाव-भंगिमा का विशेष आकर्षण लिए इस नृत्य में पदताल की अधिकता होती है। लाल-पीले रंग-बिरंगे पोशाक से सजे-धजे कलाकारों ने नृत्य के माध्यम से बताया कि ऊंचे पहाड़ों पर कठिन परिस्थितियों में जीवन-यापन करने वाले लोग कैसे गीत-संगीत से कैसे खुशनुमा माहौल बना लेते हैं। इसी तरह असम के कलाकारों ने बोडो जनजाति द्वारा किया जाना वाला बार दोई शीतला और बीहू नृत्य का प्रदर्शन किया। असमिया गीतों की मधुर धुन के बीच कलाकारों ने चटक रंगों के परिधानों में भाव-भंगिमा की अद्भूत प्रस्तुति दी। बार दोई शीतला नाम वायु-जल और युवती को दर्शता है। इसमें वैशाख ऋतु में तेज आंधी को प्रतिकात्मक रूप से पारंपरिक नृत्य के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है। दुर्गा पूजा से लेकर हर उत्सव में यह नृत्य किया जाता है।

Read More: उच्च न्यायालय और जिला अदालतों में 22 नवंबर से पूरी तरह बहाल होगी प्रत्यक्ष सुनवाई की व्यवस्था, जानें डिटेल

केरल के कलाकारों ने दक्षिण भारत में पनिया जनजाति के युवक-युवतियों द्वारा शादी-ब्याह में किए जाने वाले वट्टाकली नृत्य का प्रदर्शन किया। इसी तरह महाराष्ट्र के लोक दल ने उमंग और उत्साह के साथ विवाह के अवसर पर किए जाने वाले गारली सुसून नृत्य किया। सिक्किम के तमांग जनजाति द्वारा किए जाने वाले ऊर्जा और शक्ति की भरमार लिए तमांग सेला नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। हाथ में ढपली लिए और नीले रंग के कपड़ों में सजे सिर पर टोपी लगाए कलाकारों ने अपनी अलग और अनूठी छाप छोड़ी। अरूणाचल प्रदेश के कलाकारों ने स्त्री शक्ति को नमन करते हुए जूजू-जाजा नृत्य प्रस्तुत किया। निशी समुदाय की महिलाओं द्वारा यह नृत्य बीज बोने से लेकर फसल कटाई तक किया जाता है। जो कृषि में महिलाओं की उत्कृष्ट भूमिका को रेखांकित करता है। इसी तरह त्रिपुरा के कलाकारों ने किशोर युवतियों द्वारा किए जाने वाला होजागिरी नृत्य प्रस्तुत किया।

Read More: 11 दिन लॉकडाउन का ऐलान, यहां एक ही दिन में कोरोना से 1100 से अधिक लोगों की मौत, बंद रहेंगी दुकानें

नृत्य में चमचमाते पारंपरिक गहनों और पोशाक से सजी युवतियों ने लोक धुन और गीतों पर अद्भूत संतुलन का प्रदर्शन किया। किशोरियों द्वारा हाथ में थाल घुमाते, सिर में कांच की बोतल उसके उपर जगमगाते दीए का संतुलन देखते ही बनता था। सुन्दर मुद्राओं और ढोल और बांसुरी के साथ इस नृत्य में मिट्टी के घड़े और रूमाल का भी प्रयोग किया जाता है। इसी तरह मिजोरम के कलाकारों ने चेराव लाम नृत्य किया, जिसे 6 से 8 युगल समूह करते हैं। इन कलाकारों ने बांस को ध्वनांकित करते हुए अपनी आकर्षक प्रस्तुति दी।

Read More: MP उपचुनाव : मतदान से ठीक पहले कांग्रेस प्रत्याशी और जिला अध्यक्ष पर मामला दर्ज, निर्वाचन आयोग की कार्रवाई