रायपुर: वन नेशन वन इलेक्शन जैसे बड़े कदम पर आगे बढ़ने की कोशिश में जुटी केंद्र की मोदी सरकार पर छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम और दिग्गज कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने बड़ा हमला बोला है। (Ek Desh Ek Chunav Kaise hoga) उन्होंने आरोप लगाया है कि यह जनता का ध्यान चीन और मणिपुर से हटाने की कोशिश मात्र है।
टीएस सिंहदेव ने मीडिया में दिए बयान में कहा है संविधान संशोधन ऐसे ही नहीं आते। कुछ राज्यों की विधानसभा भंग होने की स्थिति आ जाएगी। मैं पहली बार सुन रहा हूं कि सदन को बिना किसी एजेंडा के तहत बुलाया जा रहा है। यह चीन, मणिपुर से ध्यान हटाने के अलावा कुछ और नहीं।
संविधान संशोधन ऐसे ही नहीं आते। कुछ राज्यों की विधानसभा भंग होने की स्थिति आ जाएगी। मैं पहली बार सुन रहा हूं कि सदन को बिना किसी एजेंडा के तहत बुलाया जा रहा है। यह चीन, मणिपुर से ध्यान हटाने के अलावा कुछ और नहीं: 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टी. एस. सिंह… pic.twitter.com/KH2MqFoKzf
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 3, 2023
एक देश एक चुनाव की दिशा में आगे बढ़ रही मोदी सरकार को कांग्रेस ने झटका दिया है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता और सांसद अधीर रंजन चौधरी ने वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी साफ़ इंकार कर दिया है। उन्होंने साफ़ किया है कि इस इंकार से उन्हें कोई भी समस्या नहीं है। इससे पहले भी उन्होंने भाजपा की इस योजना पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए देश में एकसाथ चुनाव कराये जाने पर अपनी असहमति जाहिर की थी।
दरअसल भाजपा ने कल ही इस कमेटी के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। इस कमिटी का प्रमुख पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया गया था जबकि सदस्य के तौर पर मौजूदा मंत्री, पूर्व मंत्री और देश के दिग्गज वकोल को शामिल किया गया था। अधीर रंजन चौधरी भी इसके सदस्य नामित हुए थे लेकिन आज उन्होंने इंकार कर दिया।
कल यानी शनिवार को केंद्र की मोदी सरकार ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर कमेटी गठित की थी। इस 8 सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे। जबकि कमेटी के सदस्य के रूप में अमित शाह, अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आज़ाद, एनके सिंह, सुभाष कश्यप, हरीश साल्वे और संजय कोठारी को नियुक्त किया गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी का नाम उच्च स्तरीय समिति और अंग्रेज़ी में एचएलसी कहा जाएगा। विधियों न्याय विभाग के सचिव नितेन चंद्र इसका हिस्सा होंगे. नितेन चंद्र एचएलसी के सचिव भी होंगे। इसके अलावा कमेटी की बैठक में केंद्रीय न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मौजूद रहेंगे।
गौरतलब है कि केंद्र की भाजपा सरकार देशभर में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराये जाने की प्रबल पक्षधर है। इसके पीछे सरकार का तर्क है देश में अगर लोकसभा चुनाव और सभी राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं तो इससे खर्चा कम होगा। चुनाव की वजह से प्रशासनिक अधिकारी भी व्यस्त रहते हैं, उन्हें भी इस काम से निजात मिलेगी और अन्य काम पर फोकस कर सकेंगे। आंकड़े के मुताबिक, जब देश में पहली बार चुनाव हुए थे, उस वक्त तकरीबन 11 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। 17वीं लोकसभा में 60 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च हुए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब लोकसभा चुनाव में इतने पैसे खर्च हुए तो विधानसभा चुनावों में कितने पैसे खर्च होते होंगे।
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