Sahitya Parab 2022 in raipur lectures on regional dialects

Sahitya Parab 2022 में गूंजी आंचालिक बोलियां, बही छत्तीसगढ़ी काव्य की बयार

Sahitya Parab 2022 : राजधानी रायपुर में हुए साहित्य परब 2022 के दूसरे दिन सोमवार 21 नवम्बर को छत्तीसगढ़ की वाचिक परम्पराओं और छत्तीसगढ़ी...

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:52 PM IST, Published Date : November 22, 2022/10:46 pm IST

रायपुर। Sahitya Parab 2022 : राजधानी रायपुर में हुए साहित्य परब 2022 के दूसरे दिन सोमवार 21 नवम्बर को छत्तीसगढ़ की वाचिक परम्पराओं और छत्तीसगढ़ी काव्य धारा विषय पर चर्चा हुई। आज की चर्चा में गोंडी, हलबी और भतरी बोली में प्रचलित कथाओं और लोकगीतों में छिपे ज्ञान के विषय शामिल रहे। छत्तीसगढ़ी काव्य धारा विषय पर कवि कोदूराम दलित के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से बात की गई। एक सत्र में नवोदित कवियों ने वरिष्ठ गीतकार रामेश्वर वैष्णव की अध्यक्षता में काव्य पाठ किया गया। इस सत्र का संचालन महेश शर्मा ने किया।

आज द्वितीय दिवस के पहले सत्र में नारायणपुर से पधारे गोंडी बोली के जानकार शिवकुमार पाडेय, हल्बी गोंडी पर काम कर रहे रुद्रनारायण पाणिग्रही ने बस्तर की कहावतें मुहावरों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि देश की अन्य भाषाओं और बोलियों की तरह हल्बी और गोंडी बोली में भी कहावतें, लोकोक्तियां और मुहावरे भरपूर संख्या में हैं। पाणिग्रही ने बताया कि समय के साथ स्थानीय बोलियां लुप्त हो रही हैं, इससे उनकी परंपरा और संस्कृति भी लुप्त हो रही है। हल्बी गोंडी की वाचिक परम्परा समृद्ध परंपरा है, जिसे पोषण की आवश्यकता है। शिवकुमार पाण्डेय ने गोंडी के विभिन्न गीतों पर प्रकाश डाला। इस सत्र की प्रस्तोता साहित्यकार शकुंतला तरार ने बस्तर के गीतों के बारे में बतायाा।

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की कविताओं पर डाला प्रकाश

एक सत्र में अरुण कुमार निगम ने छत्तीसगढ़ी भाषा के कवि कोदूराम दलित की कविताओं पर अपनी बात रखी। वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर वैष्णव ने छत्तीसगढ़ में चली काव्य धारा पर बोलते हुए इसे छत्तीसगढ़ की अस्मिता को जगाने वाला बताया। ऐसे मूर्धन्य कवियों में सुंदरलाल शर्मा, द्वारिका प्रसाद तिवारी, दानेश्वर शर्मा, विमल कुमार पाठक, पवन दीवान, लक्ष्मण मस्तुरिया के योगदान की चर्चा की गई। इस परिचर्चा में साहित्यकार बलदाऊ प्रसाद साहू और रामेश्वर शर्मा ने भी हिस्सा लिया। इस साहित्य परब 2022 में छत्तीसगढ़ी साहित्य व हिन्दी साहित्य से संबंधित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। भगवती साहित्य संस्थान द्वारा प्रकाशित “भारतीय संस्कृति में विज्ञान” पुस्तक का विमोचन राम माधव ने किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग आयोजन टीम के सदस्य सौरभ शर्मा ने की।

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साहित्य पर सार्थक चर्चा

समापन सत्र के मुख्य अतिथि राजीव रंजन प्रसाद ने साहित्यिक आयोजनों को अधिक विस्तार देने पर जोर दिया। उन्होंने साहित्य की सफलता पर बधाई देते हुए कहा कि क्षेत्रीय, स्थानीय साहित्यकारों पर सार्थक चर्चा हुई है। कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र ने की। सम्पूर्ण कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग सौरभ शर्मा ने की। इस समापन सत्र का संचालन शशांक शर्मा ने किया। साहित्य परब की संचालन टोली की ओर से जितेन्द्र शर्मा ने इस समारोह में आये सभी आगंतुको का विषय प्रस्तुत करने वाले सभी साहित्यकारों का इस आयोजन को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए योगदान देने वाले सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ राज्य गीत ‘अरपा पैरी के धार…’ और कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान ‘जन गण मन..’ से किया गया।

 

 
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